AIIMS Bhopal Alert: भोपाल एम्स ने 5 साल की रिसर्च के बाद किया खुलासा, बच्चों को तेजी से शिकार बना रही आंखों की ये बीमारी, डॉक्टर्स बोले ये महामारी, जल्द से जल्द पहचान के लिए MANIT के साथ मिलकर शुरू की एआई बेस्ड मॉडल और मोबाइल ऐप बनाने की तैयारी
AIIMS Bhopal Alert: बच्चों में बढ़ रही मायोपिया बीमारी की पहचान करने वाले एआइ मॉडल और मोबाइल ऐप बनाने की योजना शुरू हो गई। यह अनुसंधान मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) और एम्स मिलकर कर रहे हैं। इस बीमारी की पहचान करने वाले यंत्र विकसित करेंगे, साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के 12 हजार स्कूली बच्चों की आंखों की जांच कर दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देने वाले बच्चों के आंकड़े संग्रह करेंगे, जिससे इस बीमारी के बढ़ने से रोका जा सके। आइसीएमआर ने इसके लिए 1.5 करोड़ अनुदान दिया है।
इसे निकट दृष्टिदोष भी कहा जाता है। इसमें दूर के चीज धुंधली दिखाई देती है। आंख की पुतली लंबी हो जाती है। रेटिना पर छवि नहीं बन पाती है। कॉर्निया या लेंस की वक्रता में परिवर्तन से भी यह बीमारी हो सकती है। अधिक समय तक पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने, मोबाइल या कंप्यूटर का उपयोग करने से होती है।
एम्स, भोपाल के नेत्र विभाग के हालिया अध्ययन में पता चला कि पिछले पांच वर्षों में इसके ओपीडी में आए छह हजार बच्चों को देखने में समस्या थी। उनमें से 47 प्रतिशत बच्चों को मायोपिया हुई थी। इसके तेजी से बढ़ने के कारण इसे मायोपिया महामारी की संज्ञा भी दी जा रही है। विशेषज्ञों ने इस पर शीघ्र रोकथाम करने की चेतावनी दी है, नहीं तो यह अगले 20 से 25 वर्षों में देश के आधे बच्चे इसके शिकार हो जाएंगे।