पांच साल पहले शुरू हुई योजना, न किताबों का उपयोग न ही योजना का पता, पहली से आठवीं तक हर साल छापी जाती हैं 6 करोड़ से ज्यादा किताबें, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल पर स्कूलों में हुई थी शुरुआत
भोपाल. bhopal सहित प्रदेश के हजारों स्कूलों में लाखों किताबें रद्दी हो चुकी हैं। booK bank scheme के तहत इन्हें जमा किया गया था। लेकिन दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सका। योजना पांच साल पहले शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य किताबों की छपाई पर होने वाले खर्च को कम करना था।
भोपाल सहित प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब सवा करोड़ विद्यार्थी हैं। इनके लिए इस साल 6 करोड़ 80 लाख किताबें प्रकाशित की गई हैं। इससे पहले भी करीब इतना ही प्रकाशन हुआ था। शासन इस पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। इसे कम करने के लिए बुक बैंक योजना की शुरुआत की गई। कक्षा पास कर चुके बच्चों से किताबें जमा कराने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई ताकि इन्हें दूसरे विद्यार्थियों को दिया जा सके। कई स्कूलों में किताबें जमा भी हुई लेकिन इन्हें विद्यार्थियों तक नहीं पहुंचाया जा सका। नतीजतन जमा कराई गई किताबें रद्दी हो चुकी हैं। ये किसी के काम नहीं आई। राजधानी में यह िस्थति कई जगह है।
कोरोनाकाल के दौरान स्कूल बंद रहे। योजना इससे पहले शुरू हुई थी। स्कूल खुलने के बाद विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। किताबों की छपाई के लिए पहले की तरह टेंडर जारी हो गए। स्कूल प्राचार्यों को इसके लिए जिम्मेदार बनाया गया था।
ये स्थिति
94 हजार mp में स्कूल
1 करोड़ 39 लाख विद्यार्थी
6 करोड़ 80 लाख किताबों की छपाई
5 साल पहले बनी थी बुक बैंक योजना
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्कूलों में बुक बैंक योजना के लिए पहल की थी। लेकिन प्रक्रिया ठप हो गई। इससे किताबों की छपाई का बोझ कम होता। पेड़ों की कटाई कम होगी। एक बेहतर पहल थी।
राजाराम शिवहरे, पूर्व सदस्य मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड