Chhindwara Sewerage Project - विश्व बैंक की फंडिंग से पूरा हुआ छिंदवाडा सीवरेज प्रोजेक्ट
Chhindwara- मध्यप्रदेश में शहरों के विकास, मूलभूत सुविधाओं, साफ-सफाई आदि पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। यहां तक कि सीवरेज के लिए भी करोड़ों के प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। फंड की कमी दूर करने के लिए विश्व बैंक जैसी संस्थाओं से भी मदद ली जा रही है। इसी तारतम्य में छिंदवाड़ा में भी सीवरेज परियोजना बनाई गई। परियोजना 237 करोड़ रुपए की थी और यह राशि जुटाना बेहद कठिन लग रहा था। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट द्वारा इसके लिए पहल की तो विश्व बैंक मेहरबान हो गया। बैंक की फंडिंग से छिंदवाड़ा का यह सीवरेज प्रोजेक्ट अब पूरा हो गया है।
मध्यप्रदेश में नदियों के किनारे बसे ज्यादातर शहरों में एक समस्या आम है। यहां की पूरी गंदगी नदियों में मिला दी जाती है। सीवरेज की उचित व्यवस्था नहीं होने से शहर का पूरा मलजल सीधे नदियों में बहा दिया जाता है। इससे न केवल पानी प्रदूषित होता है बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण सुधार में भी अनेक दिक्कतें आती हैं। नर्मदा जैसी पवित्र नदी भी इससे अछूती नहीं है। कई शहरों का मलजल सीधा नर्मदा में मिलाकर उसे प्रदूषित किया जा रहा है।
छिंदवाड़ा सीवरेज प्रोजेक्ट ने यह दिक्कत दूर कर दी है। आधुनिक तकनीक से तैयार किए गए सीवरेज प्लांट में मलजल का शोधन किया जाता है। इसके बाद निकले पानी का सिंचाई और अन्य कार्यों में पुन: इस्तेमाल किया जा रहा है। सीवरेज प्लांट बन जाने से छिंदवाड़ा की स्वच्छता में खासी बढ़ोत्तरी हो गई है।
दरअसल अब शहर का मलजल सीधे नदियों में नहीं मिल रहा है। इसका बाकायदा शोधन किया जा रहा है। सीवरेज प्लांट के निर्माण से छिंदवाड़ा में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को और मदद मिली है।
विश्व बैंक की फंडिंग की वजह से छिंदवाड़ा की यह महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी हो सकी है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से छिंदवाड़ा की 2 लाख से अधिक आबादी को खासा लाभ हो रहा है। शहरभर की गंदगी समाप्त हो चुकी है। प्रोजेक्ट के तहत 28 एमएलडी क्षमता वाला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया है। पूरे छिंदवाड़ा शहर में 271 किलोमीटर लंबाई का सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है।
मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विश्व बैंक की सहायता से छिंदवाड़ा सीवरेज परियोजना का काम पूरा कर लिया गया है। परियोजना की कुल लागत 237 करोड़ रुपए है। इसमें प्रोजेक्ट के 10 वर्षों के संचालन और रखरखाव का खर्च भी शामिल है।