Mobile Addiction : मोबाइल की लत बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। भोपाल में कई ऐसे मामले मनोवैज्ञानिकों के सामने आ रहे हैं, जिसमें बच्चा मोबाइल की लत का शिकार है और इस कदर उसे मोबाइल एडिक्शन हो गया है, जिसमें अगर उसको मोबाइल न मिले, तो वह हिंसक हो उठता है।
Mobile Addiction : मोबाइल की लत बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। भोपाल में कई ऐसे मामले मनोवैज्ञानिकों के सामने आ रहे हैं, जिसमें बच्चा मोबाइल की लत का शिकार है और इस कदर उसे मोबाइल एडिक्शन हो गया है, जिसमें अगर उसको मोबाइल न मिले, तो वह हिंसक हो उठता है। चीजें यहां-वहां फेंकने लगता है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर देखें, तो शहर( MP News ) मोबाइल एडिक्शन के मामलों में करीब 60 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है और यह स्थिति टीनेजर बच्चों में ज्यादा देखने में आ रही है।
रूपम (परिवर्तित नाम) 7 साल का है। उसे लेकर पैरेंट्स मनोवैज्ञानिक के पास पहुंचे। वह किसी से बात नहीं करता था। हर बात पर गुस्सा करता था। जब उसके अभिभावकों से बात की, तो पता चला कि वह पहले ऐसा नहीं था, लेकिन कोरेाना टाइम में मोबाइल(Mobile Addiction) ज्यादा देखा और तब से ज्यादा वक्त मोबाइल पर बिताने लगा। धीरे—धीरे उसने सबसे बात करना बंद कर दिया और केवल मोबाइल ही देखता रहता है। उसे केवल मोबाइल देखकर खुशी मिलती है। अब उसका ट्रीटमेंट चल रहा है।
आर्यन (परिवर्तित नाम), को उसके पैरेंट ने मनोचिकित्सक को दिखाया। मनोचिकित्सक ने उसे देखा, तो बच्चे में काफी तनाव, गुस्सा नजर आया। बात करने पर पता चला कि वह मोबाइल(Mobile Addiction) की डिमांड करता है और बेहद जिद्दी हो गया है। अगर मोबाइल न मिले, तो वह गाली देने, मारपीट करने से भी गुरेज नहीं करता। जब डॉक्टर ने बात की, तो पता चला कि बच्चा पिछले दो-तीन साल से सात-आठ घंटे का समय मोबाइल पर बिताता है और अब यह आदत एडिक्शन में तब्दील हो गई है। अब उसका इलाज चल रहा है।
ऐसे केवल दो मामले नहीं है। बल्कि शहर में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब सावधान रहने की जरूरत है। मोबाइल पर दिन भर गेम खेलना या वीडियो देखना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
पैरेंट्स हमारे पास तब आते हैं, जब कोई दुर्घटना घट जाती है। जो बच्चे आ रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा बच्चे टीनएज हैं, जिनमें मोबाइल एडिक्शन के कारण एग्रेसिव विहेवियर दिख रहा है। यह बच्चे 8 से 10 घंटे मोबाइल पर बिताते हैं। यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि ऐसी स्थिति न आने दें, घर में नियम बनाएं। - डॉ समीक्षा साहू, असिस्टेंट प्रोफेसर साइकेएट्री विभाग, जीएमसी मेडिकल कॉलेज, भोपाल
मोबाइल एडिक्शन यानी दिन में दो घंटे से ज्यादा वक्त मोबाइल में बिताना, मोबाइल न मिलने पर रेस्टलेस होना। बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है और कारण है मोबाइल ज्यादा देखना। इससे बचने के लिए बच्चों का मोबाइल टाइम सीमित करें। मोबाइल को इनसेंटिव की तरह यानी बच्चे ने कुछ अच्छा किया, तो 10 मिनट के लिए दें। ऐसे यूज करें। - सोनम छतवानी, मनोवैज्ञानिक