CM Mohan Yadav- पंचायत उपाध्यक्षों को स्कूल निरीक्षण का बड़ा अधिकार, कलेक्टर को करनी होगी कार्रवाई
CM Mohan Yadav- मध्यप्रदेश में पंचायतों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की कवायद की जा रही है। इसके लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई है जिसका सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कंन्वेंशन सेंटर में 24 से 26 नवंबर तक चलनेवाली इस कार्यशाला में पंचायतों की स्थिति पर गहन मंथन होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां वाटर शेड महोत्सव के शुभारंभ के साथ ही जल गंगा संवर्धन अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया। इस मौके पर उन्होंने राज्य के जिला पंचायतों के उपाध्यक्षों, जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों के स्कूलों के निरीक्षण पर बड़ा अधिकार देने की घोषणा की।
पंचायत कार्यशाला में दोनों उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल व जगदीश देवड़ा, प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और अन्य वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संपतिया उइके, कुंवर विजय शाह, राधा सिंह भी उपस्थित थीं। बड़ी संख्या में जन-प्रतिनिधियों के अलावा विषय-विशेषज्ञ व प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे।
पंचायतों को प्रशासनिक, वित्तीय एवं सामुदायिक स्तर पर मजबूत बनाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर एवं समृद्ध बनाने की दिशा में ठोस रणनीति तैयार करना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। इसके अंतर्गत स्थानीय शासन की पारदर्शिता व जवाबदेही, मनरेगा, आजीविका मिशन, सामाजिक अंकेक्षण, डिजिटल ट्रैकिंग एवं मॉनिटरिंग, वित्तीय प्रबंधन एवं पंचायत शासन, "स्वनिधि से समृद्धि" अभियान, वाटरशेड परियोजनाओं का क्रियान्वयन, शुद्ध पेयजल, स्वच्छ ग्राम तथा विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं का प्रभावी संचालन, पेसा ग्राम सभाओं की वर्तमान स्थिति और सफल क्रियान्वयन जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चाकर और प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने जिला पंचायत उपाध्यक्षों और जनपद पंचायत उपाध्यक्षोें के लिए अहम ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब जिला पंचायतों और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्ष, अपने क्षेत्र के स्कूलों का आधिकारिक तौर पर निरीक्षण कर सकेंगे। उनके सुझावों पर अमल किया जाएगा और प्रशासन उनकी रिपोर्ट्स के आधार पर कार्रवाई करेगा।
जिला पंचायतों और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्ष, शिक्षा समिति के अध्यक्ष तो हैं लेकिन ये स्कूल में जाते हैं तो उनका जाने नहीं जाने का कोई महत्व नहीं होता… अब इनका निरीक्षण न केवल लिपिबद्ध होगा बल्कि वो सार्थक भी होगा… उनको ये अधिकार देंगे…ताकि इसके माध्यम से शिक्षा संस्थान में वे कोई कमी देखते हैं, कोई बात रेखांकित करते हैं तो जिला कलेक्टर, जिला पंचायत, जनपद पंचायत उनकी बातों को गंभीरता से ले…