e-cigarettes are openly sold: बैन के बावजूद ई-सिगरेट का जहर युवाओं में तेजी से फैल रहा है। शादी समारोह और पॉश इलाकों में खुलेआम कश लिए जा रहे हैं, कानून भी नाकाम दिख रहा।
e-cigarettes are openly sold: राजधानी सहित पूरे मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित ई-सिगरेट बेची जा रही है। शादी-ब्याह में भी ई-सिगरेट का धुंआ युवा उड़ा रहे हैं। भोपाल शहर के पॉश इलाकों से लेकर पुराने भोपाल की गलियों तक में ई सिगरेट वेप्स, वेप पेन, ई-हुक्का, मॉड और पर्सनल वेपोराइजर (पीवी) के रूप में चोरी-छिपे बिक रही है। आकर्षक डिजाइन, विभिन्न स्वाद और सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण युवा इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
युवाओं में ये गलतफहमी है कि ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट से कम हानिकारक है, जबकि वास्तव में इनमें निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। बता दें, 18 सितंबर 2019 को पूरे देश में ई-सिगरेट पर बैन लगा दिया गया था।
प्रो. डॉ. अजय सिंह ने बताया कि ई-सिगरेट (यानी, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) बैटरी से चलने वाला उपकरण है। यह तरल निकोटीन और लेवरिंग को गर्म करके धुआं बनाता है, जिसे उपयोगकर्ता सांस के माध्यम से अंदर लेते हैं। ये तीन घटकों से मिलकर बनती है। बैटरी- जो उपकरण को उर्जा देती है। एटमाइजर जो तरल को गर्म करके वाष्प बनाता है और तरल काट्रिज-इसमें निकोटीन, लेवरिंग और अन्य रसायन होते हैं।
ई-सिगरेट गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। निकोटीन मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है, जिससे ध्यान, स्मृति और निर्णय क्षमता में बाधा आती है। ई-सिगरेट के उपयोग से फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। इसलिए युवाओं को ई-सिगरेट से बचना चाहिए। इसके विकल्प के रूप में, निकोटीन मुक्त थेरेपी और परामर्श सेवाएं उपलब्ध हैं।
युवाओं में ई-सिगरेट के कई लेवर प्रचलित हैं। इनमें फलों के लेवर मैंगो, तरबूज, ब्लूबेरी, लीची, और चेरी, कैंडी और डेसर्ट के लेवर इनमें बबलगम, चॉकलेट, टॉफी, और वैनिला। पेय पदार्थों के लेयर-कोला, पेप्सी, और सोडा के अलावा कॉफी और हर्बल लेवर-कॉफी, टी, और दालचीनी जैसे लेवर प्रचलन में हैं।