- 20 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा सेंटर, हर साल प्रदेश के निजी संस्थानों में हो रहे 400 आइवीएफ
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इस साल के अंत तक प्रदेश का पहला सरकारी आइवीएफ सेंटर एम्स भोपाल में शुरू हो जाएगा। जिसके जरिए गरीब निसंतान दंपती के घरों में भी किलकारियां गूजेंगी। यह सेंटर 20 करोड़ का लागत से तैयार किया जा रहा है। यह बातें एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने शुक्रवार को संस्थान में विश्व आइवीएफ डे पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। कार्यक्रम में भोपाल सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी भी मौजूद रहे। बता दें, सरकारी आइवीएफ सेंटर को लेकर पत्रिका द्वारा अभियान चलाया गया था।
प्रदेश के 32 से ज्यादा निजी आइवीएफ सेंटर में हर साल लगभग 4 सौ आइवीएफ हो रहे हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा लगभग दो सौ इंदौर और इसके बाद सौ के करीब भोपाल में होते हैं। वहीं बेहद कम संख्या में ग्वालियर समेत अन्य शहरों में हो रहे हैं।
आईवीएफ गर्भधारण की एक आर्टिफिशियल प्रक्रिया, इस तकनीक से पैदा हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है। आईवीएफ उपचार के दौरान प्रयोगशाला में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है। जब संयोजन से भ्रूण बन जाता है तब उसे वापस महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है।