राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2024: बढ़ रहा मर्ज, बच्चों का गुमसुम होना और कुछ देर याददाश्त जाना भी हैं लक्षण, जानें क्या कहते हैं न्यूरोलॉजिस्ट...
Health Alert On National Epilepsy Day 2024: पके हुए केले और गेहूं की शुद्धता भी अब सवालों में है। केले और गेहूं में कार्बाइड टॉक्सिन होते हैं। इस रसायन की ज्यादा मात्रा दिमाग में पहुंचने पर दौरे पड़ रहे हैं। मरीजों का विश्लेषण कर डॉक्टरों ने यह साफ कर दिया है कि केले कितने खतरनाक हो सकते हैं। प्रदेशभर के अस्पतालों में ऐसे मरीज बढ़े हैं।
भोपाल के हमीदिया अस्पताल की एपिलेप्सी (मिर्गी) क्लीनिक में 1 साल में 3300 से ज्यादा मरीज पहुंचे। इनमें 665 बच्चे थे। डॉक्टरों का कहना है, केले को पकाने में कार्बाइड टॉक्सिन का इस्तेमाल बढ़ा है। यह दिमाग में केमिकल लोचा कर रहा है।
क्लीनिक के विशेषज्ञों की मानें तो यह बीमारी किसी भी चीज से ट्रिगर हो सकती है। एक कारण केले को पकाने वाला कार्बाइड टॉक्सिन है। गेहूं या दूसरी चीजें भी हो सकती हैं।
एपिलेप्सी क्लीनिक की एक साल रिपोर्ट बताती है, मिर्गी का दौरा सिर्फ झटके तक सीमित नहीं है। बिना बात लंबे समय तक हंसते रहना, किसी चीज की तरफ एक टक देखना, गुमसुम, कपड़ों को बार-बार ठीक करते रहना, कुछ देर याददाश्त चले जाना भी मिर्गी का दौरा हो सकता है।
चौथी कक्षा में साइंस टीचर पढ़ा रही थीं। 52 बच्चों की क्लास में टीचर की नजर 10 साल के राहुल पर गई। वह गुमसुम बैठा था। उन्होंने राहुल को टोका, पर प्रतिक्रिया नहीं आई। नाराज टीचर ने राहुल को तेजी से हिलाया और डांट कर कक्षा से निकाल दिया। बच्चे को कुछ समझ नहीं आया।
जानकारी परिजनों को मिली तो उन्होंने भी बच्चे को डांट लगाई। जब यह बार-बार होने लगा तो परिजन हमीदिया अस्पताल पहुंचे। शिशु रोग विशेषज्ञ ने उन्हें एपिलेप्सी (मिर्गी) क्लीनिक भेजा। यहां मिर्गी रोग का पता चला। दौरा पडऩे पर वो 5 मिनट तक गुमसुम हो जाता थाा। ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
एक साल में एपिलेप्सी क्लीनिक में आए मरीजों में मिर्गी के कई कारण और असर दिखे हैं। यहां प्रदेशभर के मरीज आ रहे हैं। -डॉ. आयुष दुबे, न्यूरोलॉजिस्ट हमीदिया अस्पताल
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केमिकल से पके केले ठोस नजर आते हैं। साफ-सुथरे चमकदार। वहीं जब इन केलों को प्रेस करेंगे तो केले पके हुए से लगते हैं। तो समझ जाएं कि ये केले केमिकल से पकाए गए हैं।
नेचुरल तरीके से पके केलों पर काले या भूरे रंग के धब्बे होते ही हैं, जबकि कार्बाइड जैसे खतरनाक केमिकल से पके केले के छिलकों पर आपको ये दाग नजर नहीं आएंगे। वहीं ऐसे केले खाने पर स्वाद में कच्चे लगते हैं।
एक बाल्टी लें और उसमें पानी भरें। अब इसमें केले डाल दें। अगर केले नेचुरल पके होंगे, तो ये डूबने लगेंगे, लेकिन अगर ये केले केमिकल से पके हैं, तो ये तैरने लगते हैं।