mp news: अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों की निजी स्कूलों को फीस दी जानी है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई
आरटीई के तहत दाखिला पाने वाले बच्चे अगर गैर हाजिर हुए तो स्कूलों को फीस से हाथ धोना पड़ सकता है। प्रदेश के निजी स्कूलों में करीब एक लाख बच्चों ने आरटीई के तहत दाखिला लिया है। इन बच्चों की फीस सरकार जमा करेगी। फीस देने से पहले राज्य शिक्षा केन्द्र ने सकूलों से बच्चों की उपिस्थति और फीस स्ट्रक्चर की जानकारी मांगी है। बच्चों की कक्षा में 75 प्रतिशत उपस्थिति होना अनिवार्य है।
अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों का निशुल्क दाखिला हुआ है। स्कूलों से इन बच्चों की जानकारी मांगी जा रही है ताकि फीस का भुगतान किया जा सके। मंगलवार को संचालक राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह ने इसके लिए निर्देश जारी किए। इसमें बताया गया कि स्कूलों को अपना बैंक विवरण देना है। आरटीई के तहत दर्ज बच्चों की संख्या, कक्षावार फीस, स्कूल का फीस स्ट्रक्चर बताना होगा। रिकार्ड की फाइल पोर्टल पर अपलोड करना है।
आरटीई के तहत जिन बच्चों को प्रवेश दिया उनकी उपस्थिति का रिकॉर्ड भी राज्य शिक्षा केन्द्र ने मांगा है। इसमें उपस्थिति अगर 75 प्रतिशत से कम हुई तो फीस रोक दी जाएगी। यानि दाखिले के साथ ही बच्चों को कक्षा में लाने के लिए भी निजी स्कूलों को प्रयास करने होंगे। सत्र 2022-23 में लगभग 4 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति की गई। इस वर्ष निजी स्कूल संचालकों आरटीई के बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के लिए इससे अधिक राशि खर्च करनी होगी।
फीस प्रतिपूर्ति के लिए 16 जुलाई से प्रक्रिया हुई है। निजी स्कूलों को पोर्टल पर यह ब्योरा देना है। यह पोर्टल 20 अगस्त तक खुला रहेगा।