Mohan Cabinet : मुख्यमंत्री सुगम लोक परिवहन सेवा पर आज कैबिनेट बैठक में हो सकती है चर्चा। सरकार से अनुबंधित बसें चलेंगी, आठ कंपनियां संभालेंगी मैनेजमेंट। शहर से गांवों को जोड़ेंगी बसें, स्कूल-कॉलेज के छात्रों को मिलेगी छूट।
Mohan Cabinet :मध्य प्रदेश में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली मुख्यमंत्री सुगम लोक परिवहन सेवा जल्द पटरी पर उतरेगी। इसके लिए एक राज्य स्तरीय लोक परिवहन कंपनी बनेगी, जिसका मुख्यालय भोपाल होगा। इसके अलावा 7 संभागीय कंपनियां भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर और रीवा संबंधित संभागों से संबंधित जिलों में बसें चलवाएंगी। नर्मदापुरम, शहडोल और चंबल को इन्हीं कपंनियों में शामिल किया जाएगा।
परिवहन विभाग के इस प्रस्ताव पर मंगलवार यानी आज होने वाली कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के बीच अहम चर्चा हो सकती है। मंजूरी के बाद अगले 1 साल में 500 नए रूटों पर लोक परिवहन सेवा शुरू करने का लक्ष्य है। बसों की जरूरत, रूट की पहचान के लिए सर्वे शुरू हो चुका। पहले से बस चला रहे ऑपरेटर्स की मदद लेकर यात्रियों को बेहतर माहौल देने की तैयारी है।
-शहरों को गांव से जोड़ेंगे।
-जनजातीय क्षेत्रों को शहर से जोड़ने पर पहला फोकस होगा।
-स्कूल और कॉलेज छात्रों को किराए में छूट मिलेगी, महिलाओं को समय-समय पर राहत।
-बसों के संचालन की त्रिस्तरीय नगरानी की जाएगी।
-राज्य और संभागीय कंपनियों के साथ जिला स्तरीय यात्री परिवहन समिति भी बनेंगी।
-समितियां कंपनियों के साथ यात्री परिवहन को बेहतर बनाने, किराया तय करने, रूट चार्ट और समन्वय के कार्य करेंगी।
-संभागीय कंपनियों को कमाई के अवसर दिए जाएंगे।
-नई योजना में अनुबंधित बसों को प्राथमिकता से परमिट देंगे। प्रभावी नियंत्रण सरकार का ही।
-यात्रियों एवं बस ऑपरेटर्स के लिए ऐप और कंपनी की निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोक परिवहन सेवा को जमीन पर उतारने के लिए परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह के साथ सोमवार उच्च स्तरीय बैठक ली। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, नगरीय विकास एवं प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और मुख्य सचिव अनुराग जैन वर्चुअली जुड़े। मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग के सचिव मनीष सिंह के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक मंजूरी दी। इस प्रस्ताव में एक राज्यस्तरीय और सात संभागीय कंपनियां के गठन की बात कही है। पत्रिका 25 दिसंबर 2024 के अंक में इसका खुलासा पहले ही कर चुका है।
वर्ष 2004 से राज्य परिवहन निगम को निष्क्रिय किया है। इसके बाद से लोक परिवहन सेवा निजी ऑपरेटरों के भरोसे है। अधिकांश क्षेत्रों में मनमानी से यात्री परेशान हैं। कई रूट ऐसे हैं जहां घाटे के चलते ऑपरेटर बसें ही नहीं चलाते। सरकार ने भी ऐसे क्षेत्रों में कोई विकल्प हीं दिए। पत्रिका ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित कर महाभियान शुरू किया था।
लोक परिवहन के लिए बनाई जाने वाली कंपनियों को सरकार पर निर्भर न रहना पड़े, इसके लिए राज्य परिवहन निगम की जिलों की अचल संपत्तियों को नई कंपनियों के साथ मर्ज किया जा सकता है।
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में सिटी बसों का संचालन करने वाली कंपनियों को लोक परिवहन सेवा वाली कंपनियों से मर्ज किया जा सकता है। बैठक में यह प्रस्ताव आया था, जिस पर विचार करने के निर्देश दिए है।