भोपाल

घर में निकला सांप….तो खर्च करने होंगे पैसे, मानसून में राजधानी बना ‘नागलोक’

snake appears in house: राजधानी में मानसून के साथ सांपों का कहर बढ़ा है, लेकिन नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की लचर तैयारी से हालात बिगड़ गए हैं। निगम के पास केवल तीन सांप केचर हैं जो पूरा शहर कवर नहीं कर पाते। (mp news)

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Jul 05, 2025
if snake appears in house then you will have to spend money (फोटो सोर्स- freepik)

snake appears in house: मानसून (monsoon) की दस्तक के साथ ही राजधानी में सांपों का आतंक बढ़ गया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की लचर व्यवस्था ने नागरिकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 3-10 दिन में करीब एक हजार सर्पदंश के मामले सामने आए हैं, जो प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े करते हैं।

आलम ये है कि यदि आपके घर सांप निकल आए तो इसे पकड़ने के लिए हजार रुपए तक खर्च करने होंगे। निगम के पास केवल तीन सांप केचर हैं जो पूरा शहर कवर नहीं कर पाते। निगम कॉल सेंटर (bhopal nagar nigam call centre) में साजों-सामान के अभाव के कारण जर्जर मकान, जलप्लावन, पेड़ गिरने जैसी शिकायतों का निराकरण भी प्रभावी तरीके से नहीं किया जा रहा है। (mp news)

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भोपाल में एंटी-वेनम की कमी

राजधानी के शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-वेनम सीरम की भारी कमी बनी हुई है। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में यह जीवनरक्षक दवा उपलब्ध नहीं है, जिससे सर्पदंश के शिकार तबकों को जिला या शहर के बड़े अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि जेपी जिला अस्पताल और राजधानी स्थित प्रदेश के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल प्रबंधन एंटी-वेनम सीरम का पर्याप्त स्टॉक होने का दावा कर रहे हैं। जेपी में लगभग 300 और हमीदिया में लगभग 350 एंटी-वेनम सीरम का स्टॉक है।

आपात सेंटरों पर संसाधनों का अभाव

नगर निगम ‌द्वारा बनाए कॉल सेंटर में रोज करीब 200 शिकायतें आती हैं, लेकिन आपदा बचाव दल के पास संसाधनों की भारी कमी है। महापौर के निर्देशों के बावजूद जोन स्तर पर तीन तीन किट व हर कर्मचारी के पास संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। इससे कर्मचारी और नागरिक दोनों ही आपात स्थितियों में खाली हाथ रह जाते है।

स्नेक कैचर की कमी

नगर निगम के पास सिर्फ चार स्नेक कैचर हैं- तीन फतेहगढ़, एक कोलार में तैनात। यह संख्या पूरे शहर में सांप पकड़ने के लिहाज से निहायत अपर्याप्त है। लोग अब निजी स्नेक कैचर (snake catchers) पर आश्रित हैं, जिन्हें 1000-1500 रुपए प्रति सांप देना पड़ता है।

नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। आपात स्थिति में हम तुरंत और प्रभावी कदम उठाते हैं। निगम प्रशासन आवश्यकतानुसार संसाधनों की पूर्ति के लिए लगातार प्रयासरत है।-सौरभ पटेल, कॉल सेंटर प्रभारी

यह है तकनीक

नेट पैचर तकनीक से सड़कों के गड्ढों , किनारों का कटाव, दरारों आदि को विशेष मशीन का उपयोग कर भरा जाता है। यह तकनीक धूल, मलबा और नमी हटाने के बाद, कोल्ड-एप्लाइड बिटुमेन इमल्शन और मिश्रण का उपयोग कर 30 मिनट में गड्ढे भरती है। इससे सड़क की मरम्मत हर मौसम में तेजी से और कुशलता से कर सकते हैं।

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Published on:
05 Jul 2025 08:53 am
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