MP Farmers Use AI-ML and Space Satellite: प्रदेश ने देश में पहली बार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (सैटेलाइट ) का उपयोग फसल बीमा में किया है और अब राजस्थान सरकार के साथ ही अन्य राज्यों द्वारा भी प्रदेश के इस मॉडल पर काम किया जाएगा। तीन दिवसीय एआइ और मशीन लर्निंग आधारित फसल उपज मॉडलिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित....यहां जानें क्या होंगे फायदे
MP Farmers Use AI-ML and Space Satellite: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग फसल बीमा प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और सटीक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रदेश ने देश में पहली बार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (सैटेलाइट ) का उपयोग फसल बीमा में किया है और अब राजस्थान सरकार के साथ ही अन्य राज्यों द्वारा भी प्रदेश के इस मॉडल पर काम किया जाएगा। यह बात मैपकॉस्ट के महनिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कही।
इस संबंध में सोमवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) द्वारा तीन दिवसीय एआइ और मशीन लर्निंग आधारित फसल उपज मॉडलिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से 100 प्रतिभागी शामिल हुए। जिसमें इसरो के राष्ट्रीय सूदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद, और महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र दिल्ली के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसरो की वैज्ञानिक डॉ. नीतू राठी ने मैपिंग में एआइ के उपयोग पर चर्चा की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग कृषि क्षेत्र में डेटा विश्लेषण, मौसम पूर्वानुमान, फसल वृद्धि पैटर्न और कृषि से संबंधित विभिन्न समस्याओं को समझने में किया जा सकता है। एआइ-एमएल किसानों के फसल स्वास्थ्य की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं, जिससे वे समय पर बीमारियों या कीटों का पता लगा सकें।
इससे किसानों को जल्दी चेतावनी मिलेगी और वे सही उपाय कर सकते हैं, जिससे फसल का नुकसान कम हो सके। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन 9 अप्रेल को किया जाएगा। महानिदेशक अनिल कोठारी ने बताया, इससे मशीन लर्निंग का उपयोग क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर मौसम के पैटर्न को समझने के लिए किया जा सकता है। इससे किसानों को बेहतर योजना बनाने में मदद मिलगी। जैसे कि कब बीज बोना है, कौन सी फसल अधिक उपज देने वाली है, और कब सिंचाई की आवश्यकता है।
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