MP government - मध्यप्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अधिकारियों के वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं।
MP government - सरकारी अमले को कार्यालयों में प्राय: छोटी मोटी जरूरतों के लिए भी परेशान होना पड़ता है। जरूरी चीजों की खरीदी भी मंजूरी के अभाव में रुकी पड़ी रहती है। ऐसे में सरकार ने कर्मचारियों-अधिकारियों की सुविधा के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे रोजमर्रा की जरूरतों के साथ ही कुछ अन्य सामान भी खरीदे जा सकेंगे। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अधिकारियों के वित्तीय अधिकार बढ़ाने को मंगलवार को राज्य केबिनेट की मीटिंग में मंजूरी दी गई। प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकारी कामों में 'ईज ऑफ डूइंग' यानि काम करने में आसानी का माहौल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार ने टाइपराइटर जैसे पुराने पद हटाकर कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे नए पद सृजित करने पर सहमति जताई है। केबिनेट मीटिंग की जानकारी देते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि बैठक में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि व अन्य क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने पर व्यापक विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। खास बात यह है कि केबिनेट की इस बैठक में विवादित बयान के आरोपी मंत्री विजय शाह शामिल नहीं हुए।
पीएम नरेंद्र मोदी 31 मई को भोपाल के जंबूरी मैदान में महिला समागम कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम में दो लाख महिलाओं के आने की उम्मीद है। केबिनेट मीटिंग में बताया कि प्रधानमंत्री मोदी यहां से इंदौर मेट्रो रेल, सतना व दतिया एयरपोर्ट का वर्चुअली शुुभारंभ करेंगे। पीएम के कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सभी प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्रों के कार्यक्रमों की तैयारियों की समीक्षा के निर्देश दिए।
केबिनेट बैठक में सरकारी अमले के लिए अहम फैसला लिया गया। केबिनेट ने वित्तीय अधिकारों के प्रत्यायोजन 2025 को मंजूरी दी। इसके अंतर्गत प्रदेश सरकार ने विभागों के विभागाध्यक्षों के वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इससे अधिकारी जहां त्वरित निर्णय ले सकेंगे वहीं बजट का भी उचित उपयोग हो सकेगा।
वित्तीय अधिकार बढ़ाने से अधिकारी लैपटॉप, फर्नीचर जैसे जरूरी सामान खरीदने के लिए खुद निर्णय लेने में सक्षम होंगे। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजकर मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।