भोपाल

अब नियम तोड़ने पर नहीं होगी जेल, जनविश्वास बिल ला रही सरकार, बदल जाएंगे कायदे-कानून

MP Government Jan Vishwas Bill: मध्य प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने और नियम-कानून के उल्लंघन पर जेल जैसे प्रावधानों में बदलाव की तैयारी कर ली है, इसके तहत मोहन सरकार ने सभी विभागों और निकायों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं...

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Dec 05, 2024

MP Government Jan Vishwas Bill: मध्य प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने और नियम-कानूनों के उल्लंघन पर जेल के डर को दूर करने जन विश्वास बिल लागू करने की तैयारी है। कई मामलों में जेल की सजा खत्म या कम हो जाएगी। पेनल्टी बढ़ जाएगी। शासन के निर्देश पर विभिन्न विभागों जैसे उद्योग, नगरीय विकास, राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य आदि से संबंधित कानूनों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा है।

अधिनियमों में फाइन या जुर्माने की जगह पेनल्टी या दंड शब्द लिखा जा रहा है। पेनल्टी जहां बहुत कम है वहां बढ़ाई जाएगी। फिलहाल विभागीय स्तर पर मंथन चल रहा है कि कहां पेनल्टी बढ़ाई जानी है और कहां जेल की सजा हटाकर महज पेनल्टी का प्रावधान किया जाना है। यह भी तय किया जाएगा कि सजा की डिग्री और प्रकृति अपराध की गंभीरता से कम न हो।

संसद में 2023 में हो चुका पारित

ज्ञात रहे कि संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2023 में पारित हो चुका है। 19 मंत्रालयों से संबंधित 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में बदलाव किया जा रहा है।

कई अपराधों को जुर्माने तक सीमित कर दिया जाएगा तो कई मामलों में सजा खत्म कर दी जाएगी। राज्य सरकार भी अपने कानूनों के प्रावधानों में बदलाव कर रही है। जल्द ही विधानसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ाना मुख्य उद्देश्य

जन विश्वास बिल का मुख्य उद्देश्य उद्योग और व्यापार प्रणाली में सहजता लाना यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है। व्यापार करने के लिए कई विभागों से लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि लेना होता है।

कानूनों, नियमों का पालन करना होता है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगता है। कई मामलों में जेल भी हो जाती है। देश में 1536 कानून हैं। इसमें 70 हजार प्रावधान हैं। कई नियम एमएसएमई सेक्टर के विकास में बाधा बनते हैं।

40 जगह फाइन की जगह किया पेनल्टी

नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने विभाग के अधिनियमों में फाइन की जगह पेनल्टी शब्द जोडऩे के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों ने 40 स्थानों पर बदलाव कर दिया है। बताया गया है कि फाइन केवल कोर्ट ही सभी पक्षों की सुनवाई के बाद लगा सकता है, जबकि पेनल्टी विभिन्न सरकारी एजेंसियां वसूल सकती हैं। पेनल्टी बढ़ाने के संबंध में अभी विभागीय अधिकारी विचार कर रहे हैं। उद्योग, एमएसएमई आदि विभागों में भी पीएस राघवेन्द्र सिंह के निर्देश पर ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं।

बिल के तहत यह होगा

कुछ कानूनी प्रावधानों में कारावास की सजा की अवधि कम की जाएगी। कारावास को हटाकर सिर्फ जुर्माना रखा जाएगा या जुर्माना बढ़ाया जाएगा। कुछ प्रावधानों में कारावास और जुर्माने को दंड में बदला जाएगा।

नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने विभाग के अधिनियमों में फाइन की जगह पेनल्टी शब्द जोड़ने के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों ने 40 स्थानों पर बदलाव कर दिया है।

ऐसे समझें बदलाव

अभी अगर कोई फैक्ट्री संचालक अनजाने में गलत जगह डिस्चार्ज करता है, तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 7 और 9 के तहत पांच साल जेल, एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।

लेकिन बदलाव के बाद जेल का प्रावधान हटाने और जुर्माना राशि 15 लाख रुपए करने का प्रावधान है।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालों को छह माह तक जेल और एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।

कानून में बदलाव के बाद अनसेफ फूड की बिक्री पर तीन माह से ज्यादा की जेल नहीं होगी, लेकिन जुर्माना तीन लाख रुपए वसूला जाएगा।

Updated on:
05 Dec 2024 10:52 am
Published on:
05 Dec 2024 10:50 am
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