Debt on MP: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार अब केंद्र से अधिक कर्ज लेने की अनुमति मांगेगी। वर्तमान में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के अनुपात में 3 प्रतिशत कर्ज लेने की अनुमति है, जिसे मोहन सरकार बढ़वाना चाहती है।
Debt on MP: मध्य प्रदेश सरकार राज्य में अधोसंरचना विकास (infrastructure development) की गति को बढ़ाने और प्रमुख परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से अधिक कर्ज लेने की अनुमति मांगेगी। वर्तमान में राज्य को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के तीन प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति है। सरकार ने इसे बढ़ाकर चार प्रतिशत करने की मांग की है। इस प्रस्ताव को 16वें वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
सरकार अब तक वित्तीय वर्ष 2024-25 में 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। इससे प्रदेश पर कुल कर्ज (Debt on MP) का आंकड़ा चार लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। सरकार का कहना है कि ये कर्ज पूरी तरह पूंजीगत व्यय, यानी अधोसंरचनात्मक विकास (Infrastructure Development Works) कार्यों पर खर्च किया जा रहा है। हालांकि, वित्तीय अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश की वित्तीय स्थिति स्थिर है और राज्य ने कभी भी राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act) का उल्लंघन नहीं किया है। भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से लिया गया सारा कर्ज विकास कार्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, जो राज्य के दीर्घकालिक विकास (long-term development) के लिए आवश्यक है।
प्रदेश सरकार अधोसंरचना विकास को प्राथमिकता देते हुए पूंजीगत व्यय (capital expenditure) में वृद्धि कर रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और इसे अगले वर्ष 65,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने की योजना है। राज्य में सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन और आसपास के जिलों में सड़क, पुल, फ्लाईओवर और अन्य निर्माण कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भी अधोसंरचना को सुदृढ़ किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी केंद्र सरकार से अधिक कर्ज लेने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन वह मंजूर नहीं हो सकी। इस बार सरकार अधिक प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है।