International Tiger Day 2025: राज्य वन विकास निगम के अधीन वाले जंगलों में हैं टाइगर, अब इनके साथ न हो कोई अनहोनी, इनके संरक्षण के लिए पहली बार कैम्पा मद से केंद्र सरकार से मांगे 16 करोड़ रुपए, patrika.com पर पढ़ें हरिचरण यादव की रिपोर्ट...
International Tiger Day 2025: सब ठीक रहा तो 50 साल से अपने ही घर में भेदभाव का शिकार हो रहे प्रदेश के सैकड़ों बाघों के साथ इस वर्ष अन्याय खत्म हो सकता है। सरकार ने इनके संरक्षण के लिए पहली बार कैम्पा मद (CAMPA) से 16 करोड़ रुपए केंद्र सरकार से मांगे हैं। अब तक इन पर अलग से एक कौड़ी खर्च नहीं होती थी। निगम ने तीन करोड़ रुपए अलग से मांगे हैं। यह राशि राज्य के वन्यप्राणी प्राणी संरक्षण (tiger conservation in MP) मद से मांगी है।
असल में 50 साल पहले राज्य में वन विकास निगम (MP Forest Development Corporation) की स्थापना हुई थी। वर्तमान में 11 परियोजना मंडल हैं। जिनमें रीवा-सीधी, उमरिया, मंडला-मोहगांव, कुंडम, बरघाट, लामटा, छिंदवाड़ा, रामपुर भतौड़ी, खंडवा, सीहोर और विदिशा-रायसेन शामिल हैं। सीमा 17 जिलों के सामान्य वन मंडलों की सीमाओं से मिलकर बनी है। खंडवा जैसे जिले छोड़ दें तो लगभग सभी जिलों के जंगलों में कहीं न कहीं बाघ हैं। तब भी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना मद से एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा रहा।
टाइगर रिजर्व व अभयारण्य में बाघों पर सालाना 50 से 70 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। यह राशि सुरक्षा, घास के मैदान तैयार करने, शाकाहारी वन्यजीवों की शिफ्टिंग, बाघों के खतरे कम करने, आधुनिक तरीके से निगरानी करने आदि पर खर्च की जाती रही है।
नोट: (अवधि : 2012 से सितंबर 2024, स्रोत: बाघ गणना रिपोर्ट-2022, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व एनटीसीए गाइडलाइन)
वर्ष- मौत
2021- 41
2022- 34
2023-43
2024-50
2025-32
(स्रोत:एनटीसीए की विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक)
वयस्क नर बाघ को कम से कम 100 वर्ग किमी और मादा बाघ को 40 से 60 वर्ग किमी जंगल चाहिए होता है। देश में 3,682 बाघों के लिए 58 टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्र लगभग 85 हजार वर्ग किमी है। गुणा-भाग करें तो एक बाघ को 23 वर्ग किमी जंगल मिल रहा है।
11 परियोजना मंडलों का कुल क्षेत्रफल 4.15 लाख हेक्टेयर है। अफसरों की मानें तो इनमें 200 से ज्यादा बाघों का मूवमेंट है। ये वे बाघ हैं जो टाइगर रिजर्व व वन्यजीव अभयारण्यों (tiger reserve and wildlife sanctuary)से होकर इन क्षेत्रों में शिकार आदि के लिए घूमते हैं। इनमें से कई बाघों ने तो निगम के अधीन वाले वन क्षेत्रों को स्थाई ठिकाना बना लिया है। जब संज्ञान में आया तो प्रधान मुख्य वन संरक्षक व निगम के एमडी वीएन अंबाड़े ने संरक्षण के लिए प्लान बनाकर एसीएस वन अशोक बर्णवाल को भेजा। सरकार के स्तर पर मंथन के बाद दिल्ली भेजा।
मध्य प्रदेश - 355
महाराष्ट्र - 261
कर्नाटक - 179
उत्तराखंड - 132
असम - 85
केरल - 76
उत्तर प्रदेश - 67
राजस्थान - 36
बिहार - 22
छत्तीसगढ़ - 21