MP IAS Officer Transfer: मध्यप्रदेश कैडर के दो आइएएस अफसर भरत यादव और नेहा मारव्या फिर सुर्खियों में है, भरत सीएम के सचिव थे, तो नेहा अपनी तेज तर्रार छवि के कारण चर्चा में हैं...
MP IAS Officer Transfer: मध्यप्रदेश कैडर के दो आइएएस अफसर भरत यादव और नेहा मारव्या फिर सुर्खियों में है। फिलहाल भरत खुद के खिलाफ हुई शिकायतों के बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) का विश्वास नहीं जीत पाने, तो नेहा अपनी तेज तर्रार छवि के कारण चर्चा में हैं। भरत सीएम के सचिव थे।
उन्हें सोमवार को हटाकर सड़क विकास निगम का एमडी बनाया है तो नेहा को डिंडोरी की कलेक्टरी दी है। भरत ने सबसे पहली नौकरी रेलवे में ज्वाइन की थी। वह ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर टीटीई की नौकरी और साथ में पढ़ाई करते हुए आइएएस बन गए। बाद में उसी ग्वालियर में कलेक्टरी भी कर चुके हैं। आइएएस नेहा के नाम 14 साल के कॅरियर में तत्कालीन मुख्य सचिव, तत्कालीन महिला मंत्री और अपने से वरिष्ठ आइएएस से भिडऩे का रिकार्ड रहा है।
दतिया निवासी भरत यादव ने 2008 में प्रशिक्षु के रूप में सेवा शुरू की। सिवनी, बालाघाट, मुरैना, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, जबलपुर में कलेक्टर रहे। हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर रहे, शहरी विकास एवं आवास विभाग में कमिश्नर समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके।
वन विभाग में पीसीसीएफ के पद से रिटायर ललित बेलवाल के खिलाफ जब भर्ती घोटाले के आरोप लगे तो जांच का जिम्मा नेहा को दिया गया। उन्होंने दबाव दरकिनार कर केस दर्ज करने की अनुशंसा कर दी, जबकि बेलवाल को एक तत्कालीन सीएस का करीबी माना जा रहा था। 2017 में नेहा ने शिवपुरी जिपं सीईओ रहते कलेक्टर के नाम से आवंटित वाहन का भुगतान रोका था, तर्क था कि किराया 18 हजार है तो 24 हजार क्यों दें। नेहा अपने सीनियर से भिड़ गईं थीं। उनकी एक तत्कालीन महिला मंत्री से भी अनबन हो गई थी।
चर्चा है कि नेहा का तेज तर्रार वाला व्यवहार कई बार हावी हो जाता है। वरिष्ठों के खिलाफ भी बोल जाती हैं। राजनीतिक संतुलन नहीं बैठा पातीं, जबकि सरकारें ब्यूरोक्रेट से अपेक्षा करती हैं कि राजनीतिक लोगों की सुनी जाए। नेहा जिस कैडर की अफसर हैं, उस कैडर के कई आइएएस जिलों में कलेक्टर रहकर वापस आ गए, लेकिन नेहा को कलेक्टरी नहीं मिली। इसका जिक्र उन्होंने एक वाट्सऐप ग्रुप पर भी किया था।