MP News: सैकड़ों परिवार परेशान, अफसरों ने पूर्व सीएस एवी सिंह और पूर्व सीएस राणा के पति कीजमीन वनखंडों से की थी बाहर... उसी इछावर तहसील की 161.841 हेक्टेयर जमीन अटकी...
MP News: हरिचरण यादव. जिला एक, तहसील एक, कानून एक और मामले भी एक ही जैसे, तब भी अधिकारियों की मनमानी ऐसी कि पावर वालों के पक्ष में न्याय कर रहे और सैकड़ों आम परिवारों के साथ अन्याय जारी है।
कहानी राजधानी की सीमा से सटे सीहोर जिले के इच्छावर तहसील की है। यहां के चीकलपानी, सारस, लोहापठार, झालपीपल और देहरिया मुकाती की 161.841 हेक्टेयर निजी जमीन वर्षों से वन खंडों में शामिल है, जिसे वन विभाग व राजस्व के अफसर बाहर करने को तैयार नहीं है। जबकि इच्छावर तहसील के ही लावाखेड़ी में पूर्व मुख्य सचिव एवी सिंह व पूर्व मुख्य सचिव वीरा राणा के पति एवं पूर्व आइपीएस संजय राणा की जमीन थी, जिसे अफसरों ने वनखंडों से बाहर कर दिया।
आम लोगों की निजी जमीनों को वनखंडों से बाहर नहीं किए जाने के चलते जमीन मालिक परेशान हैं। वर्षों से न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हैं, जमीन होने के बावजूद उस पर निर्माण कार्य व व्यावसायिक उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। जिसकी वजह से जमीन से होने वाली आवक नाम मात्र की है या फिर जीरो है।
सारस गांव की सबसे अधिक 128.992 हेक्टेयर निजी जमीन वनखंडों में शामिल है। चीकलपानी में 2.801 हेक्टेयर, लोहापठार में 29.402 हेक्टेयर, झालपीपल में 0.174 हेक्टेयर और ग्राम देहरिया मुकाती में 0.472 हेक्टेयर जमीन निजी रकबा है। इनमें से कई तो आदिवासी परिवार हैं, तब भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
सीहोर के इच्छावर के लावाखेड़ी में खसरा क्रमांक 122/13 की 0.1090 हेक्टेयर जमीन पूर्व पूर्व मुय सचिव वीरा राणा के पति एवं पूर्व आइपीएस अधिकारी संजय राणा पिता एमएस राणा के नाम है। जबकि इसी गांव में खसरा 122/7 की 1.2140 जमीन पूर्व मुख्य सचिव एवी सिंह के नाम पर है।
वन विभाग ने 6 मई 2022 को एक नोटिस में कहा था कि उक्त जमीन कक्ष क्रमांक 349 की बीट लावाखेड़ी के वन परिक्षेत्र में स्थित वन क्षेत्र में है, जो सामान्य वन मंडल सीहोर के तहत आती है। इसका अपवर्तन नहीं होने के कारण इसका मूल स्वरूप वन भूमि है और इस पर सघन वन है, इसलिए गैर वानिकी काम और निर्माण करने पर रोक है। ऐसा करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। लेकिन फरवरी 2025 में वन विभाग की भू-अभिलेख शाखा के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज अग्रवाल और अन्य अफसरों ने उक्त जमीन को वनखंडों से बाहर कर दिया था।
विदिशा, रायसेन में भी 837.541 हेक्टेयर निजी जमीन वनखंडों में है। इसमें रायसेन की 435.875 और विदिशा की 401.666 हेक्टेयर जमीन शामिल है। उक्त जमीन को बाहर नहीं किया जा रहा है।
प्रदेश में डेढ़ लाख लोगों की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक निजी जमीन वन खंडों में है। इसमें से वन विभाग के पास 30 हजार 668 हेक्टेयर का तो हिसाब भी है, जो पूर्व के वर्षों में विधानसभा में पेश किया गया था। इसके अलावा जो निजी जमीन वनखंडों में शामिल है, उसके रिकार्ड जमीन मालिकों के पास तो है लेकिन वन विभाग के पास नहीं है। लोग उक्त जमीनें वन खंडों से बाहर निकालनेके लिए परेशान हो रहे हैं।
बालाघाट 103.737
बैतूल 65.443
पन्ना 1517.412
छिंदवाड़ा 5215.730
नर्मदापुरम 205.261
दतिया 133.100
सीधी 583.868
सिंगरौली 360.050
सागर 1602.689
दमोह 22.701
सिवनी 1619.791
शिवपुरी 4418.896
गुना 6476.388
अशोकनगर 2505.688
शहडोल 2637.509
अनूपपुर 1392.172
उमरिया 970.850 (हेक्टेयर में)
((यह जमीन वन विभाग स्वयं निजी भूमि मानता है, विधानसभा में जानकारी दे चुका है))