MP News: मोहन सरकार का बड़ा कदम सरकारी नौकरी में पदों की कैटगरी 10 से कम कर कीं 5, यहां जानें फायदे और नुकसान, निचले कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति...
MP News: मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने सरकारी विभागों में बरसों से चली आ रही पदों की जटिल श्रेणियों पर बड़ा फैसला लिया है। सरकारी नौकरी में 10 कैटेगरी वाले ढांचे को समेटते हुए इसे सरकार ने 5 आवश्यक पदों में ही सीमित कर दिया है। जिन पांच श्रेणियों को खत्म किया गया है उन पदों की प्रशासनिक और व्यावहारिक जरूरत अब महसूस नहीं की जा रही थी, इसीलिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। सरकार का दावा है कि इस फैसले से राज्य में कार्यरत लाखों कर्मचारियों को सेवा लाभ, पेंशन और रिटायरमेंट के बाद की प्रशासनिक उलझनों से बड़ी राहत मिलेगी।
बता दें कि यह फैसला मुख्यमंत्री मोहन यादव के तीसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक के बाद सामने आया है, इसे सरकार स्ट्रक्चरल एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म के तौर पर देख रही है।
सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अब सरकारी विभागों में सिर्फ पांच प्रमुख पद श्रेणियां ही ऐसी हैं जिन्हें यथावत रखा गया है। इनमें - नियमित (Regular), संविदा (Contractual),आउटसोर्स (Outsourced), अंशकालीन (Part-time),अन्य आवश्यक श्रेणी (विभागीय जरूरत आधारित) शामिल हैं।
दरअसल सरकार का मानना है कि इन्हीं श्रेणियों के माध्यम से विभागों की कार्यात्मक जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। जबकि अलग-अलग कैटेगरी बनाकर प्रशासन को बोझिल बनाने की जरूरत ही नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, जिन पदों की कैटेगरी को खत्म किया गया है या सांख्येतर (Ex-Cadre) घोषित किया गया है, उनमें
-कार्यभारित स्थापना (Work-Charged Establishment)
-आकस्मिक स्थापना (Contingency Establishment)
-अस्थायी पद (Temporary Post)- स्थायी-अस्थायी का अंतर समाप्त
-दैनिक वेतन भोगी/मस्टर रोल (संभावित)- अन्य श्रेणियों में समायोजन या नई नियुक्ति -बंद
-अन्य अप्रचलित/विशिष्ट पद - प्रशासनिक जटिलता के कारण समाप्त
बता दें कि सरकारी स्तर पर इसे पुराने और अव्यवहारिक ढांचे से बाहर निकलने की कोशिश माना जा रहा है।
हालांकि एमपी सरकार के इस फैसले के बाद निचले स्तर के कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। ऐसे में बड़ा सवाल अब ये है कि जिन श्रेणियों के पदों को खत्म किया गया है, उन पर पहले से कार्यरत कर्मचारियों का अन्य कैटेगरी में समायोजन होगा या नहीं।
अब तक राज्य शासन की ओर से इस पर कोई स्पष्ट टाइमलाइन या विस्तृत गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। इसी वजह से कई विभागों में कर्मचारी सरकार के औपचारिक स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहे हैं।
-रिटायरमेंट के बाद पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य लाभों में आने वाली दिक्कतें कम होंगी।
-स्थायी-अस्थायी भेद खत्म होने से सेवा सुरक्षा बढ़ेगी।
-कार्यभारित और आकस्मिक स्थापना में नई भर्तियों पर प्रभावी रोक, जिससे रोजगार के अवसर घटेंगे।
-पहले से कार्यरत कर्मचारियों के समायोजन को लेकर अनिश्चितता।
मोहन यादव सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में लिया गया यह फैसला साफ संकेत देता है कि सरकार अब तात्कालिक फैसलों से आगे बढ़कर सिस्टम को सरल, एकरूप और लॉन्ग-टर्म बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।