भोपाल

12 जिलों से मानसून गायब, लेकिन IMD का नया अलर्ट, अक्टूबर में मौसम का बदला ट्रेंड

MP Weather: मध्य प्रदेश से मानसून की बिदाई का ऐलान हो चुका है, लेकिन 12 जिलों से बिदा हो चुके मानसून का असर अब भी कई जिलों में बाकी है, IMD के नये अलर्ट के बाद आप भी रहें सतर्क, जब भी घर से निकले छाता या रैन कोट साथ लेकर निकले, मौसम विभाग अक्टूबर में बदल गया बारिश का ट्रेंड,

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Oct 01, 2025
mp weather

MP Weather: मध्य प्रदेश से अब मानसून 2025 ने विदाई लेना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, 12 जिलों से मानसून आधिकारिक तौर पर लौट चुका है। खबर सुनकर अब अक्सर टाइम-बेटाइम बारिश से परेशान हो रहे लोगों ने राहत की सांस ली होगी। लेकिन अभी रुकिए, राहत की सांस लेने से पहले आपको जान लेना चाहिए की राज्य को एक बार फिर से बारिश का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी की है कि आने वाले चार दिनों तक प्रदेश के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश का दौर चल सकता है। गरज-चमक और आंधी का असर देखने को मिल सकता है।

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Monsoon की विदाई, लेकिन असर अभी बाकी

मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर संभाग के कई जिलों से मानसून का असर लगभग खत्म हो गया है। लेकिन मानसून का पूरा सफर अभी बाकी है। बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर सिस्टम (निम्न दबाव क्षेत्र) ने अक्टूबर की शुरुआत में भी बारिश की संभावना को बढ़ा दिया है। यही कारण है कि, भले ही मानसून की विदाई का ऐलान हो चुका है, लेकिन बारिश की बौछारें या अचानक बनने वाले लोकल वेदर सिस्टम से कुछ देर के लिए भारी बारिश का दौर अब भी देखने को मिल सकता है।

आज 1 अक्टूबर समेत चार दिन तक IMD का अलर्ट

-IMD की सब-डिवीजन वॉर्निंग के अनुसार आज 1 से 3 अक्टूबर तक, बिजली गिरने और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट है।

-4 और 5 अक्टूबर- कुछ जिलों में भारी बारिश के भी रहते हैं आसार।

-वहीं 6 और 7 अक्टूबर- फिलहाल कोई चेतावनी या अलर्ट जारी नहीं किया गया है।

इसका मतलब है कि अक्टूबर की शुरुआती 5 दिनों में भी कई जिलों के लोगों को छतरी और रैन कोट साथ रखना होगा।

एमपी में अक्टूबर में मौसम का सामान्य ट्रेंड

-मौसम विभाग (IMD) और पिछले मौसम के डाटा की बात करें, तो अक्टूबर(October Rainfall) में मध्य प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान 28-32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18-22 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

-इंदौर जैसे शहर में इस महीने में सामान्यत: 32 मिमी तक बारिश होती है और इस बार भी 4-5 दिन बूंदाबांदी की ही संभावना जताई गई है।

-वहीं भोपाल में अक्टूबर की शुरुआत में 21% बारिश की संभावना रहती है, जो महीने के अंत तक घटकर 5% हो जाती है।

किसानों और फसलों पर दिखता है असर

1- खरीफ फसल- इस समय सोयाबीन, धान और कपास की कटाई का दौर रहता है। अचानक हुई बारिश (Light to heavy rain) से कटाई में देरी और फसल नुकसान का खतरा बढ़ा है। पहले भी मौसम की मार से बेहाल किसानों के साथ ऐसा होता रहा है।

2- रबी की तैयारी- वहीं गेहूं और चने की बुवाई से पहले हुई बारिश खेत की नमी के लिए फायदेमंद साबित होगी।

3. सब्जियां और बागवानी- हल्की बारिश लाभकारी हो सकती है, लेकिन बिजली-आंधी और ओलावृष्टि का खतरा हर साल बना रहता है।

    आमजन कैसे होता है प्रभावित

    दिन में गर्मी और रात में ठंडक- अक्टूबर में दिन के समय धूप से पारा 32 डिग्री तक चढ़ सकता है, जबकि रात में हल्की ठंडक बढ़ेगी।

    बिजली-गर्जन का खतरा- खेतों में काम करने वाले और खुले इलाकों में रहने वालों को अलर्ट रहना चाहिए।

    यातायात पर दिखेगा असर- बारिश से कई शहरों में ट्रैफिक जाम और गड्ढों की समस्या और बढ़ सकती है।

    जलाशयों और भूजल स्तर पर असर, मौसम की दोहरी मार

    प्रदेश के कई बड़े बांध इस बार मानसून से लबालब हो चुके हैं। अगर अक्टूबर की शुरुआत में हल्की बारिश जारी रही तो, जलस्तर बरकरार रहेगा, जिससे अगले गर्मियों में पानी की किल्लत कम होगी। दूसरी ओर, अगर बारिश अचानक तेज हुई तो निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति भी बन सकती है।

    पिछले साल ऐसा था अक्टूबर में एमपी के मौसम का पैटर्न

    -2024 में भी मानसून (Monsoon ) ने मध्य प्रदेश से देर से विदाई ली थी और अक्टूबर के पहले सप्ताह तक कई जिलों में बारिश दर्ज की गई थी।

    -भोपाल में 2024 के अक्टूबर में 54 मिमी तक बारिश हुई थी।

    -ग्वालियर और इंदौर में भी औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई थी।

    -यह पैटर्न बताता है कि अक्टूबर अब राज्य के लिए पूरी तरह सूखा महीना नहीं रहा।

    क्या कहते हैं मौसम के एक्सपर्ट्स

    रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक पीके साहा मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून का शेड्यूल बदल रहा है। अब अक्सर मानसून सितंबर के आखिरी हफ्ते की बजाय अक्टूबर के पहले-दूसरे हफ्ते तक खिंच जाता है। इससे कृषि चक्र और शहरी जीवन दोनों प्रभावित होते हैं।

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    Published on:
    01 Oct 2025 04:36 pm
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