National Mental Health Survey: बड़ी संख्या में युवा, महिलाएं और बुजुर्ग तनाव, अवसाद और अकेलेपन की गिरफ्त में हैं। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे (NMHS) के अनुसार राजधानी और मप्र में हर सातवां व्यक्ति मानसिक बीमारी से पीड़ित है।
National Mental Health Survey: भोपाल में तेजी से बदलते शहरी जीवन (Lifestyle) और बढ़ते सामाजिक अलगाव (social isolation) के कारण खराब मानसिक स्वास्थ्य बड़ी समस्या बनता जा रहा है। बड़ी संख्या में युवा, महिलाएं और बुजुर्ग तनाव, अवसाद और अकेलेपन की गिरफ्त में हैं। नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे (NMHS) के अनुसार राजधानी और मप्र में हर सातवां व्यक्ति मानसिक बीमारी (Mental Illness) से पीड़ित है। गंभीर बात यह है कि कई को अपनी बीमारी का पता भी नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले भोपाल में ही गंभीर मानसिक रोगों (जैसे सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर) से पीड़ितों की संख्या लगभग 40,000 है, जबकि 2,50,000 लोग सामान्य मानसिक विकारों से पीड़ित हैं।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मूल में चिंता, अवसाद, और सिज़ोफ्रेनिया प्रमुख है।
मध्य प्रदेश में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 0.05 मनोरोग विशेषज्ञ हैं। भोपाल की लगभग 20 लाख आबादी के हिसाब से कम से कम 100 विशेषज्ञों की जरूरत है, लेकिन मनोरोग विशेषज्ञों की संख्या 10 से 15 के आसपास (huge shortage of psychiatrists) है।
भोपाल में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सीमित क्लिनिक हैं। ये जिले का केवल 13.7 प्रतिशत हिस्सा ही कवर कर पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 70 से 90 प्रतिशत मानसिक रोगी इलाज नहीं करा पाते।
रिपोर्ट के अनुसार तनाव और कार्य जनित मानसिक थकान स े15 से 40 वर्ष की उम्र के युवा शिकार हैं। प्रदेश में प्रत्येक छठा बच्चा मानसिक रोग का शिकार है। सामाजिक अलगाव के कारण बुजुर्ग अकेलापन महसूस करते हैं।
मध्य प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। मनोरोग विशेषज्ञों की भारी कमी है। मानसिक रोग को लोग छुपाते हैं। उपचार नहीं कराते हैं। नतीजतन मानसिक तनाव में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।
डॉ. आरएन साहू, मानसिक रोग विशेषज्ञ, ईएसआइ अस्पताल