भोपाल

अमित शाह की मौजूदगी में सहकारी दुग्ध संघ-समितियों को NDDB करेगा टेकओवर

MP News : मध्यप्रदेश के छह सहकारी दुग्ध संघ, छह हजार सहकारी दुग्ध उत्पादन समितियों, शीत केंद्रों और संयंत्रों को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) टेकओवर करेगा।

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Apr 13, 2025

MP News :मध्यप्रदेश के छह सहकारी दुग्ध संघ, छह हजार सहकारी दुग्ध उत्पादन समितियों, शीत केंद्रों और संयंत्रों को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) टेकओवर करेगा। फिलहाल पांच साल के लिए संचालन एनडीडीबी करेगा। केंद्र और राज्य मिलकर इस क्षेत्र में 1500 करोड़ खर्च करेंगे। रवींद्र भवन में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में रविवार को राज्य स्तरीय सहकारिता सम्मेलन में यह टेकओवर-हैंडओवर होगा। किसान इसके साक्षी बनेंगे।

ऐसे होगा फायदा

एनडीडीबी दुग्ध समितियों को 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार करेगा। नए संयंत्र स्थापित करेगा। ऐसा कर मध्यप्रदेश में उत्पादित दूध की सहकारी सिस्टम में लाया जाएगा, ताकि उपभोक्ताओं को सस्ता दूध मिले, किसानों को अच्छा दाम मिले और युवाओं को रोजगार मिल सके।

40 साल पुराने दुग्ध संघ-समितियों का हाल

दुग्ध संघ भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में हैं। समितियां गांवों में, शीत केंद्र ब्लॉक में हैं। स्थापना 40 साल पहले हुई। बारिश में 12-15 लाख लीटर और गर्मी में 8-10 लाख लीटर दूध रोज आता है। मध्यप्रदेश दूध उत्पादन में उत्तरप्रदेश और राजस्थान के बाद तीसरा सबसे बड़ा राज्य है।

बोर्ड से राज्य सरकार को अपेक्षाएं

  • दूध का बड़ा हिस्सा सहकारी समितियों के जरिए खरीदा जाए। सहकारी समितियां 18 हजार पंचायतों को कवर करें। आधुनिक तरीके से संचालन हो। प्रत्येक किसानों का डेटा संचारित हो और निगरानी की अच्छी व्यवस्था हो।
  • किसानों को ज्यादा से ज्यादा कीमत मिले, उपभोक्ताओंके लिए दूध सस्ता हो।
  • सांची ब्रांड हर हाल में बना रहे। दूसरे प्रदेशों में दूध व दूध से बने सांची उत्पाद भेज जाएं। विदेश में निर्यात की व्यवस्था की जाए।
  • अभी सात लाख पैकैट दूध की रोजाना बिक्री हो रही है। यह 15 से 20 लाख पैकेट के पार पहुंचे।
  • छह सहकारी दुग्ध संघों की कुल क्षमता 18 लाख लीटर है, जिसे 30 लाख लीटर किया जाएगा।
  • दूध बेचने वाले सदस्य किसानों को सालाना आय 1700 करोड़ हो रही है। यह बढ़कर 3500 करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंचे।

...तो मुश्किल: 5 से 10 साल पुरानी निजी कंपनियों करोड़ों रुपए कमा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि खामियों के चलते दुग्ध संघ सफल नहीं हुए। इन खामियों को दूर किए बिना एनडीडीबी का भी सफल होना मुश्किल होगा।

Published on:
13 Apr 2025 08:41 am
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