Saurabh Sharma Case : जिस गाड़ी में सोना और कैश मिला वो सौरभ के नाम नहीं थी, जबकि उस गाड़ी से चलता सौरभ था। भोपाल में जमीनें भी उसकी पत्नी दिव्या के नाम से हैं।
Saurabh Sharma Case : एक महीने से सौरभ शर्मा जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर है। ठोस कार्रवाई न होने से गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है। इस पर सवाल भी उठने लगे हैं। उधर, सौरभ के करीबियों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। एजेंसियां उन रिश्तेदारों और दोस्तों की कुंडली निकाल रही हैं, जहां सौरभ अपनी काली कमाई खपाता था। इसी कड़ी में शुक्रवार को राजधानी भोपाल और ग्वालियर के छह से ज्यादा ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा था। जहां गाड़ी मिली थी उसके आसपास भी सौरभ के रिश्तेदार हैं।
सूत्रों के मुताबिक भोपाल में देर रात तक कार्रवाई चलती रही। कई संदिग्ध दस्तावेज ईडी के हाथ लगे हैं। हालांकि पुष्टि शनिवार शाम तक नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि सौरभ(Saurabh Sharma Case) का दुबई में निवेश है।
जिस गाड़ीमें सोना और कैश मिला वो सौरभ(Saurabh Sharma Case) के नाम नहीं थी, जबकि उस गाड़ी से चलता सौरभ था। भोपाल में जमीनें भी उसकी पत्नी दिव्या के नाम से हैं। शर्मा की जगह तिवारी सरनेम का इस्तेमाल है। जिस लग्जरी गाड़ी से सौरभ मुंबई तक भागा वो गाड़ी भी शरद के नाम से गुजरात के भरूच आरटीओ से पास है। राजघाट का मछली ठेका भी चेतन गौर के नाम से है। यानी सौरभ अपने नाम से कुछ नहीं रखता था।
वरिष्ठ कांग्रेसनेता अरुण यादव ने सरकार से कई सवाल पूछे हैं। जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह से भी पूछा है कि वे बताएं किसके दबाव में सौरभ की परिवहन विभाग में नियुक्ति की गई। घोटाले में कहीं सरकार के गद्दारों का तो दबाव नहीं था। सवालों का दिग्विजय ने समर्थन किया है।
यह पूछे सवाल
क्या एजेंसियों ने जांच पर अघोषित ब्रेक लगा दिया है।
सौरभ के यहां मिली डायरी को सार्वजनिक क्यों नहीं किया।
परिवहन विभाग में एक ही रैंक के 2 आइपीएस को अलग-अलग पद पर क्यों बिठाया। क्या एक का कनेक्शन दिल्ली से था।
तीन एजेंसियों ने कार्रवाई की, लेकिन सबके संपत्ति के आंकड़े अलग-अलग क्यों हैं।
जब सौरभ की शिकायत ईओडब्ल्यू में हुई थी तब जांच में क्लीनचिट किसके दबाव में दी गई।
कौन राजनेता एवं अफसर सौरभ को संरक्षण दे रहे थे।
क्या उन्हीं नेताओं एवं अफसरों से सौरभ को जान का खतरा है।
रतलाम जिले के प्रभारी और प्रदेश के जनजाति कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन मंत्री विजय शाह सौरभ शर्मा जैसे छोटे-मोटे मुद्दों पर बात नहीं करते। मीडिया ने उनसे सवाल किया था तो शाह ने यही कहा। मीडिया ने जब मामले में मंत्री और अधिकारियों की मिलीभगत के आरोपों पर पूछा तो शाह कुछ देर तक चुप्पी साधे रहे। जब लगातार सवाल किया जाता रहा तो मंत्री ने कहा कि मैं छोटे-मोटे मुद्दों पर बात नहीं करता। कांग्रेस का काम विपक्ष में बैठ हंगामा करना है।
केंद्र सरकार के काम पर कहा, मोदी ने वो कर दिखाया जो जीतू पटवारी के अब्बा ने सोचा भी नहीं होगा। इस दौरान एक महिला की शिकायत पर नायब तहसीलदार सरीता राठौर को फील्ड से हटाने के आदेश दिए। मंत्री शनिवार को भू स्वामी अधिकार अभिलेख वितरण कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।