MP News: उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अनुसंधान स्ट्रीम के छात्र चौथे सेमेस्टर में 22 क्रेडिट के शोध-प्रबंध, प्रोजेक्ट या पेटेंट पर काम करेंगे।
MP News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्नातकोत्तर (पीजी) शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। अब मास्टर डिग्री की अवधि और पात्रता छात्रों की स्नातक डिग्री की संरचना पर निर्भर करेगी। तीन वर्षीय और चार वर्षीय स्नातक डिग्रीधारकों के लिए अलग-अलग विकल्प, क्रेडिट सिस्टम, फास्ट-ट्रैक कोर्स, डिप्लोमा एग्जिट और इंटर्नशिप रिसर्च को विशेष महत्व दिया है।
नई व्यवस्था के अनुसार, तीन वर्षीय स्नातक डिग्री पूरी करने वाले छात्रों को अब दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम करना होगा। इस कार्यक्रम को पूरा करने के लिए छात्रों को कुल 88 क्रेडिट अर्जित करने अनिवार्य होंगे। यह परंपरागत मास्टर डिग्री की तरह होगा, लेकिन इसमें इंटर्नशिप और शोध को भी क्रेडिट से जोड़ा गया है। उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अनुसंधान स्ट्रीम के छात्र चौथे सेमेस्टर में 22 क्रेडिट के शोध-प्रबंध, प्रोजेक्ट या पेटेंट पर काम करेंगे।
नई प्रणाली में मल्टीपल एग्जिट का विकल्प भी दिया गया है। यदि कोई छात्र तीन वर्षीय स्नातक डिग्री के बाद दो-वर्षीय पीजी कार्यक्रम में प्रवेश लेकर एक वर्ष (दो सेमेस्टर) की पढ़ाई पूरी करता है, लेकिन किसी कारणवश आगे पढ़ाई जारी नहीं रख पाता, तो उसे एक-वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा (44 क्रेडिट) प्रदान किया जाएगा। ऐसे छात्र को अधिकतम दो शैक्षणिक वर्षों के भीतर दोबारा प्रवेश लेकर अपनी मास्टर डिग्री पूरी करनी होगी।
तीन-वर्षीय स्नातक के बाद दो-वर्षीय पीजी - 88 क्रेडिट
चार-वर्षीय स्नातक (ऑनर्स, ऑनर्स विद रिसर्च) के बाद एक-वर्षीय पीजी-44 क्रेडिट
एक-वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा (एग्जिट विकल्प) -44 क्रेडिट
इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप 2 सप्ताह- 2 क्रेडिट
शोध-प्रबंध, प्रोजेक्ट, पेटेंट- प्रति सेमेस्टर 22 क्रेडिट
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