Paperless Assembly in MP: मध्य प्रदेश में जल्द ही विधायकों के हाथों में टैबलेट नजर आएंगे, दरअसल विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई नेशनल ई-विधान परियोजना (नेवा) की बैठक में निर्णय के बाद मानसून सत्र 2025 तक एमपी की विधानसभा भी पेपरलैस हो जाएगी
Paperless Assembly in MP: मध्यप्रदेश विधानसभा 2025 के मानसून सत्र तक पेपरलेस होगी। ऐसा होने पर विधायकों के हाथ में पन्नों की जगह टैबलेट होंगे। उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई नेशनल ई-विधान परियोजना (नेवा) की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
तोमर ने निर्देश दिए कि परियोजना लागू होने से पहले विधानसभा सदस्यों को भी पर्याप्त जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाए। प्रत्येक दो माह में परियोजना की प्रगति से समिति को अवगत कराया जाए। संसदीय कार्य मंत्रालय को नोडल विभाग बनाया गया है।
अब तक 23 प्रदेशों के 25 सदनों ने ई-विधान परियोजना लागू करने के लिए केंद्र के साथ एमओयू किए हैं। 13 प्रदेशों के 14 सदनों में परियोजना लागू हो चुकी है। इनमें गुजरात, हिमाचल, पंजाब, उदार प्रदेश, बिहार इत्यादि राज्य शामिल हैं। बता दें कि 'नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन' योजना केंद्र सरकार द्वारा सभी विधानसभाओं को कागज रहित बनाने और उन्हें एक मंच पर लाने के लिए शुरू की गई थी।
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने एनआइसी का सहयोग लेने की बात कही। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि परियोजना लागू करने के लिए विधायकों की समिति जल्द उन राज्यों का दौरा करे, जहां परियोजना लागू हो चुकी है। उन्होंने ई-विधान परियोजना के लिए साइबर सिक्यूरिटी पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही।
प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि परियोजना लागत का 60% अंश केंद्र और 40% राज्य सरकार वहन करेगी। केंद्र ने 19.36 करोड़ लागत के परियोजना कार्यों का अनुमोदन कर दिया है। बैठक में टैबलेट, नेटवर्क और ई-लर्निंग, ई-फेसिलिटी सेंटर पर भी विचार किया गया। तय हुआ कि विधायकों की सुविधा के लिए जिले के एनआइसी सेंटर को नोडल ट्रेनिंग एजेंसी के तौर पर कहा जाएगा, ताकि विधायक सुविधा का लाभ उठा सकें।
जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में अध्यक्ष रहे गौतम का कहना था कि यह परियोजना धन की कमी के कारण लागू नहीं की जा सकी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट ने 10 जुलाई को 'ई-विधान' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 83.87 करोड़ रुपए भी मंजूर किए गए हैं। बता दें कि 2022 में मध्य प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 'ई-विधान' प्रणाली को समझने के लिए कई राज्यों का दौरा किया था। हालांकि ये परियोजना तब से लंबित थी।