MP CO2- एमपी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बड़ी कवायद की जा रही है। राज्य में जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सीओ2 को चट्टानों के नीचे दबाने का प्रोजेक्ट शुरु किया गया है।
MP CO2- एमपी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बड़ी कवायद की जा रही है। राज्य में जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सीओ2 को चट्टानों के नीचे दबाने का प्रोजेक्ट शुरु किया गया है। जहरीली गैस को जमीन के नीचे सुरक्षित तरीके से जमा करने का यह काम देश में पहली बार किया जा रहा है। आईसर (भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान) ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका मकसद हवा में जाने वाली जहरीली गैस को धरती के अंदर ऐसी चट्टानों में भेजना है, जो उसे बाहर न निकलने दें। आइसलैंड व अमरीका में सफल परीक्षणों से प्राप्त अनुभवों को लागू किया जा रहा है। हैदराबाद सहित यूरोप-एशिया के नौ देशों के वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट में भागीदार हैं।
आईसर के पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग के डॉ. ज्योतिर्मय मलिक ने बताया, इस तकनीक को कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज कहा जाता है। सीओटू को पानी में मिलाकर जमीन के नीचे खास चट्टानों में इंजेक्ट किया जाता है। वहां गैस खनिजों से मिलकर स्थायी रूप से चट्टान बन जाती है।
आइसर का पहला टेस्ट कुआं:
आइसर की टीम डॉ. मलिक के नेतृत्व में डेक्कन ट्रैप्स नामक ज्वालामुखी चट्टानों में पहला सीओटू इंजेक्शन कुआं बना रही है। ये चट्टानें मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आसपास के बड़े हिस्सों में फैली हैं। सीओटू को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए बेहतर मानी जाती हैं।
कोयला, पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन जलाने से भारी मात्रा में सीओटू बनती है। यही गैस ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण है। आइसर अधिकारियों ने बताया कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सीओटू उत्सर्जक देश है। हमारी ऊर्जा जरूरतों का ज्यादातर हिस्सा अभी भी कोयले से पूरा होता है। ऐसे में इस गैस को हवा में जाने से रोकना बेहद जरूरी है।