भोपाल

Sawan Somwar 2024: अमरनाथ से भी दुर्गम है नागद्वारी यात्रा, नाग पंचमी पर यहां आते हैं नाग-नागिन के 12 जोड़े

Sawan Somwar2024: दूसरा सावन सोमवार (Second Sawan Somwar 2024) 29 जुलाई को है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव की नागद्वार यात्रा और उसकी रहस्यमयी दुनिया के रोचक किस्से, सावन में नागपंचमी के दिन यहां उमड़ता है भक्तों का सैलाब..

4 min read
Jul 25, 2024
एमपी का अमरनाथ कहलाता है नागद्वार यात्रा लेकिन उससे भी कठिन है।

Sawan Somwar 2024: दूसरा सावन सोमवार 29 जुलाई को है। सावन के इस महीने में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव की नागद्वारी की रहस्यमयी दुनिया के बारे में, दुनियाभर के सबसे दुर्गम स्थलों में से एक है शिव की ये नगरी जहां लाखों नाग रहते हैं। सावन में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होता है

ये भी पढ़ें

Mahakal ki Sawari 2024: 22 जुलाई को महाकाल की पहली सवारी, यहां देखें डेट लिस्ट कब निकलेगी शाही सवारी

भगवान शिव (Lord Shiva) के रहस्यमयी (Mysterious) संसार के बारे में हर कोई जानना चाहता है…और मध्य प्रदेश में अनोखे शिवालयों के साथ ही एक ऐसा संसार भी है जहां के रास्ते पार करना हर किसी के बस की बात नहीं। क्योंकि ये रास्ते अमरनाथ की कठिन यात्रा से भी दुर्गम माने जाते हैं।

एमपी के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) स्थित शिव नगरी पचमढ़ी में है नागद्वारी गुफा (nagdwar yatra 2024)। इसकी 13 किमी लंबी दुर्गम पहाड़ी यात्रा पर सावन (Sawan 2024) में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ता है। जैसे-जैसे नागपंचमी के दिन नजदीक आते हैं, भक्तों की भीड़ इस दुर्गम सफर के लिए निकल पड़ती है।

इस नागद्वारी गुफा (Nagdwari Cave) में भगवान शिव के दर्शन (Shiv darshan) के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। क्योंकि नागेश्वरी गुफा (nageshwari cave) में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए केवल एक ही दिन नागपंचमी पर पट खोले जाते हैं।

कहा जाता है कि नागपंचमी (nagpanchami 2024) पर जब नागद्वार के पट खोले जाते हैं, तो यहां एक साथ 12 सांप के जोड़े नजर आते हैं। शिव की इस नगरी में जब नागद्वारी की यात्रा शुरू होती है, तो भक्तों को हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होता है। क्योंकि यहां लाखों जहरीले सांप भी मिलते हैं। रहस्यमयी इस नागद्वारी में यात्रा के को लेकर पढ़ें ये इंट्रेस्टिंग फैक्ट…

यहां से शुरू होती है यात्रा

पचमढ़ी शहर से 8 किमी दूर जलगली तक टैक्सी के माध्यम से श्रद्धालु नागद्वारी गुफा की 13 किमी की दुर्गम पहाड़ी यात्रा पूरी करते हैं। भोले शंकर के दर्शन कर 13 किमी वापस इसी मार्ग से पचमढ़ी पहुंचते हैं। तीन बड़े पहाड़, कई छोटी-पहाड़ियों, नदी, नाले, अस्थाई सीढिय़ों से लटकते हुए यह कठिन यात्रा पूरी होती है।

सैकड़ों साल पुराना है मेले का इतिहास

जुलाई-अगस्त माह में यहां लगने वाला 10 दिवसीय मेले का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। ये एक विशाल मेला होता है, जिसके लिए नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा का प्रशासनिक अमला दस दिन तक मेले की व्यवस्थाएं करता है। इस दौरान भक्त यहां परिक्रमा करने भी आते हैं।

पचमढ़ी के 69 वर्षीय वरिष्ठ नरेन्द्र कुमार गुप्ता बताते हैं कि 1800ई. में अंग्रेजों और आदिवासी राजा भभूत सिंह की सेना के बीच युद्ध हुआ था। आदिवासी छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव से पैदल चलकर नागद्वार क्षेत्र स्थित चित्रशला माता गुफा में अज्ञातवास करते थे।

गुफा में अंग्रेजों से लड़ने की गुप्त रणनीति बनती थी, अंग्रेजी सेना पर हमला कर इन्हीं गुफाओं और कंदराओं में शरण लेते थे। नागद्वार गुफा के पास काजरी क्षेत्र में आज भी शहीद सैनिकों की कई समाधियां मौजूद हैं।

मराठा और आदिवासी परिवारों ने उस दौर से यहां यात्राएं प्रारंभ कीं। उसके बाद नागद्वारी गुफा में शिवलिंग स्थापित किया गया। महज पांच फीट चौड़ी गुफा में इसी शिवलिंग का पूजन करने दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।

इन भक्तों के लिए वरदान है ये यात्रा

पचमढ़ी महादेव मंदिर के पुजारी रमेश दुबे, अभिषेक दुबे कहते हैं कि जिनकी कुण्डली में काल सर्प योग दोष होता है, अगर ऐसे भक्त नागद्वारी यात्रा पूरी करते हैं, तो उनकी कुंडली से ये दोष दूर हो जाता है। वहीं महाराष्ट्र के लोगों के बीच ये मान्यता भी प्रचलित है कि नागद्वारी यात्रा (Nagdwar Yatra 2024) करने के दौरान संतान सुख की मन्नत मांगी जाए तो पूरी होती है।

कुछ प्रशासनिक सुविधाएं मिली हैं

89 वर्षीय प्यारे लाल जायसवाल के अनुसार वे पीढ़ियों से विदर्भ के नागरिकों को नागद्वारी यात्रा करते देख रहे हैं। पहले बच्चों को कैंची बनाकर पीठ पर लादकर दुर्गम पहाड़ों पर रस्सियों के सहारे चढ़ाकर यात्रा पूरी करते थे। लेकिन आज प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं।

नागदेवता ने मैनारानी के पुत्र को डस लिया था

नागद्वारी को लेकर एक किंवदंती भी है कि संतान प्राप्ति के लिए नागदेवता से मन्नत मांगी जाती थी। मन्नत पूरी होने पर नागदेवता को सलाइ से काजल आंजा जाता था। पूर्व में एक राजा हेवत चंद और उसकी पत्नी मैनारानी ने संतान प्राप्ति के लिए नागदेवता से मन्नत मांगी थी। उसकी मन्नत पूरी हो गई।

लेकिन जब मैनारानी ने नागदेवता को काजल लगाना चाहा तो, नागदेवता विशाल रूप में प्रकट हो गए। उनका विशाल रूप देख डर के कारण मैनारानी बेहोश हो गई। इससे नागदेवता आक्रोशित हो गए और रानी के पुत्र श्रवण कुमार को डस लिया। माना जाता है कि तभी से श्रवण कुमार की समाधि भी काजरी क्षेत्र में बनी है।

नागाद्वारी गुफा यात्रा की डगर (Nagdwari Pilgrim Track)

पचमढ़ी से जलगली 7 किमी, जलगली से कालाझाड़ 3.05 किमी, कालाझाड़ से चित्रशाला मंदिर 4 किमी, चित्रशाला से चिंतामन 1 किमी, चिंतामन से पश्चिम द्वार 1 किमी, पश्चिम द्वार से नागद्वारी 2.5 किमी, नागद्वारी से काजरी 2 किमी, काजरी से कालाझा 4 किमी।

संबंधित खबरें:-


साल में एक बार होती है नागद्वारी यात्रा (Nagdwari Yatra 2024)

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण यहां आम स्थानों की तरह प्रवेश वर्जित होता है। साल में केवल एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। इस बार देशभर में नागपंचमी 9 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। इसलिए नागद्वारी यात्रा के लिए 9 अगस्त को पट खुलेंगे।

हर साल नागपंचमी (Nag panchami 2024) पर यहां एक मेला भी लगता है। इस मेले में भाग लेने के लिए लोग जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। बता दें कि सावन के महीने में नागपंचमी के 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु, खासतौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्त नागद्वारी यात्रा के दुर्गम सफर के लिए घरों से निकल पड़ते हैं।

ये भी पढ़ें

Sawan Somwar 2024: बगैर टिकट लिए भी भस्म आरती में हो सकेंगे शामिल, जानें सही समय और ये खास नियम

Also Read
View All

अगली खबर