भोपाल

Sawan Somvar 2024: दुनिया का अनोखा शिव मंदिर जहां चढ़ाया जाता है सिंदूर, गौंड़ आदिवासियों ने की थी पहली पूजा

Sawan Somwar 2024 दुनियाभर के अनोखे शिवालयों में शामिल ये शिव मंदिर मध्य प्रदेश के इटारसी जिले में है, पहाड़ों में स्थापित इस शिवालय में सबसे पहले गौंड़ जाति के आदिवासियों ने पूजा-अर्चना की थी, यहां क्यों चढ़ाया जाता है भगवान शिव को सिंदूर…इस परम्परा की एक नहीं कई कहानियां, सावन में अनोखे शिव मंदिर की खासियत जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

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Jul 13, 2024
Sawan Somwar 2024

Sawan Somvar 2024: मध्य प्रदेश के इटारसी शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित सतपुड़ा की खूबसूरत हरी-भरी वादियों में पहाड़ों के बीच है भगवान शिव का अनोखा शिव मंदिर (Unique Temple of Lord Shiva) तिलक सिंदूर धाम मंदिर (Tilak Sindoor Dham Temple)। इस शिवालय की खासियत ये भी है कि यह दुनिया का एक मात्र शिव मंदिर है जहां, भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इसी वजह से इसका नाम भी तिलक सिंदूर धाम पड़ा है।

जानें यहां शिव को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर

Sawan Somvar 2024

एक किंवदंती के अनुसार इसी स्थान पर भगवान गणेश ने सिंदूरी नामक राक्षस का वध किया था और उसके सिंदूरी रक्त से भगवान शिव का अभिषेक किया गया था। तभी से यहां भगवान शिव का सिंदूर से अभिषेक किया जाता है।

सिंदूर चढ़ाने की एक मान्यता ये भी

मान्यता यह भी है कि मंदिर का संबंध गौड़ जनजाति से है। आदिवासी पूजा अर्चना के दौरान सिंदूर का उपयोग करते हैं। चूंकि इस शिव धाम की खोज आदिवासियों ने ही की थी। इसलिए यहां भगवान शिव की पहली पूजा का श्रेय भी इन आदिवासियों को ही जाता है। मान्यता है कि इनकी सिंदूर चढ़ाने की परम्परा आज भी जारी है।

भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने को लेकर पौराणिक मान्यता

इस पौराणिक कथा के मुताबिक भस्मासुर ने कड़ी तपस्या कर भगवान शंकर को प्रसन्न किया था। इसके बाद भगवान शिव ने भस्मासुर को यह वरदान दिया था कि तुम जिसके सिर पर हाथ रखोगे वह भस्म हो जाएगा। अब भस्मासुर को लगा कि शिव ने जो वरदान दिया है क्यों न उसे आजमाया जाए।

इसका परीक्षण करने के लिए भस्मासुर ने शिव के सिर पर ही हाथ रखने को कहा। भस्मासुर की इस इच्छा से भोलेनाथ घबराकर वहां से भागे और सतपुड़ा के घने पहाड़ों और जंगलों के बीच इसी गुफा में एक लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

Sawan Somvar 2024

कथा के मुताबिक अपने को लिंग रूप में स्थापित करने के बाद भगवान शिव ने खुद को छिपाने के लिए सिंदूर का लेप भी कर लिया। फिर पास ही एक गुफा में बरसों तक रुके रहे। इसी दौरान उन्होंने उस गुफा से पचमढ़ी जाने के लिए एक सुरंग का निर्माण किया था। यहीं से वे पचमढ़ी के जटाशंकर में जाकर छुपे थे।

मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के सिंदूर लेप के कारण ही यहां आज शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाने की परम्परा बनी हुई है।माना जाता है कि आज भी यहां वह सुरंग मौजूद है, जो पचमढ़ी तक पहुंचती है। यहां आने वाले लोग इस गुफा के दर्शन भी करते हैं।

भवानी अष्टक में मिलता है जिक्र

जमानी गांव में रहने वाले हेमंत दुबे बताते हैं कि तिलक सिंदूर आज तांत्रिक साधनाओं के लिए भी दुनिया भर में जाना जाता है। भवानी अष्टक में तिलक वन के जिक्र को भी तिलक सिंदूर से जोड़कर देखा जाता है।

Updated on:
13 Jul 2024 01:33 pm
Published on:
13 Jul 2024 12:23 pm
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