
Bhasm Arti Mahakal Ujjain: इस बार सावन 2024 का महीना (sawan 2024) 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। सावन महीने में शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। वहीं धार्मिक नगरी उज्जैन (ujjain) में सावन के इस पावन महीने में एक साथ दो उत्सवों की धूम रहेगी।
एक सावन उत्सव और दूसरा महाकाल सवारी उत्सव। मंदिर प्रबंध समिति ने इस बार सावन में महाकाल मंदिर में 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई है। ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने महाकाल में भस्म आरती से लेकर दर्शन करने तक के लिए नया प्लान बनाया है। जिसके मुताबिक दर्शन के साथ ही भस्म आरती के समय और तरीके में भी बदलाव किया गया है। यहां जानें सावन में क्या रहेगी महाकाल की नई व्यवस्था…
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर (mahakaleshwar temple) में 22 जुलाई से श्रावण मास का उत्सव शुरू हो जाएगा। इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार 22 जुलाई को होने के करण पहले ही दिन भगवान महाकाल की सवारी (Mahkal ki Sawari) धूमधाम से निकाली जाएगी। मंदिर प्रबंधन समिति के मुताबिक इस दिन (22 जुलाई) महाकाल उपवास पर रहेंगे। मंदिर समिति श्रावण-भादौ में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी, श्रावण महोत्सव और दर्शन व्यवस्था को लेकर पहले से ही प्लान तैयार कर चुकी थी। बता दें कि सावन के महीने में भगवान महाकाल हर सोमवार को सावन का व्रत रखते हैं।
नोट- सावन माह में उज्जैन महाकाल की 5 सवारी और भादौ माह में 2 सवारी निकलेंगी। महाकाल के दर्शन और पूजन के लिए ये सात दिन अहम रहेंगे। पहली सवारी 22 जुलाई को और आखिरी शाही सवारी 2 सितंबर को निकाली जाएगी।
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के महाकाल मंदिर (mahakaleshwar temple ujjain) में आने वाले हर श्रद्धालु को भस्म आरती के दर्शन कराने के उद्देश्य से एक बार फिर मंदिर में चलित भस्म आरती (mahakal bhasm arti) की नई व्यवस्था शुरू की जाएगी। वहीं श्रावण मास (shrawan mas) में देशभर से कावड़ यात्री भी भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। मंदिर समिति पूजन परंपरा के अनुसार दर्शन की व्यवस्था निर्धारित करती है। कावड़ यात्रियों के प्रवेश और निर्गम को लेकर भी विशेष इंतजाम किए गए हैं।
बता दें कि हर साल सावन या श्रावण मास में महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में विशेष बदलाव किया जाता है। भगवान महाकाल भक्तों के लिए सामान्य दिनों की अपेक्षा करीब डेढ़ घंटा पहले जागते हैं।
सामान्य दिनों में मंदिर के पट जहां तड़के चार बजे खुलते हैं वहीं, सावन के महीने में हर रविवार को रात 2.30 बजे मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं।
तो सोमवार से शनिवार तड़के 3 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं। इस बार भी भस्म आरती में शामिल होने के लिए मंदिर प्रबंधन इसी समय व्यवस्था को जारी रखेगा।
Updated on:
13 Jul 2024 01:40 pm
Published on:
13 Jul 2024 11:02 am
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