Startup Policy in MP: मध्य प्रदेश की नई एमएसएमई और स्टार्टअप नीति में किए गए नए प्रावधान, Global Investors Summit से पहले मोहन सरकार की बड़ी पहल, केंद्र की मदद के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार, जानें क्या है मोहन सरकार की तैयारी...
Startup Policy in MP: सुनील मिश्रा. ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (Global Investors Summit) में बड़ी संख्या में स्टार्टअप के माध्यम से यूनिकॉर्न बनी कंपनियां भी शामिल हो रही हैं। जीआइएस के पहले प्रदेश में स्टार्टअप के ईकोसिस्टम को सुधारने और उन्हें बढ़ावा देने सरकार ने नई एमएसएमई और स्टार्टअप नीति तैयार की है। स्टार्टअप को रफ्तार देने के लिए सीड फंडिंग की व्यवस्था की जा रही है। स्टार्टअप आइडिया (Startup Idea) को उद्यम में बदलने में सहयोग करने के लिए बने इंक्यूबेशन सेंटर और उत्पाद आधारित स्टार्टअप के लिए अतिरिक्त और विशेष पैकेज की व्यवस्था की जा रही है।
इससे एमपी के स्टार्टअप सीधे मदद ले सकेंगे उन्हें केन्द्र से मदद मिलने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। नई एमएसएमई (MSME Policy) और स्टार्टअप नीति (Startup) मंगलवार को कैबिनेट में पेश करने की तैयारी है।
शुरुआती चरण में उद्यमियों को कोई वित्तीय सहायता नहीं देता। आइडिया को जमीन पर उतारने, उत्पाद के प्रदर्शन के लिए प्रोटोटाइप बनाने और ह्रश्वलान पर अमल शुरू करने के लिए प्रारंभिक पूंजी की आसानी से उपलब्धता आवश्यक है।
एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए पूंजीगत सब्सिडी बढ़ाई जाएगी।
छोटे उद्योगों, स्टार्टअप को गुणवत्ता प्रमाणन, एनर्जी ऑडिट, बौद्धिक संपदा संरक्षण के लिए लाभ बढ़ेंगे।
निर्यातोन्मुख इकाइयों और ज्यादा रोजगार सृजन वाली इकाइयों के लिए अतिरिक्त लाभ की व्यवस्था।
एमएसएमई के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में सरकार सहायता देगी।
एमएसएमई, स्टार्टअप के लिए बिजली, पानी में दी जाने वाली रियायतें और बढ़ेंगी। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में मार्केटिंग-ब्रांडिंग के लिए सहायता बढ़ेगी।
किसी व्यवसाय या नए उत्पाद के लिए आइडिया विकसित करने जरूरी धनराशि है। यह फंडिंग आमतौर पर प्रस्ताव बनाने की लागत को कवर करती है। शुरुआती वित्त पोषण हासिल करने के बाद स्टार्टअप अतिरिक्त वित्त पोषण प्राप्त करने उद्यम पूंजीपतियों से संपर्क कर सकते हैं।
1. स्टार्टअप को सेबी पंजीकृत आल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड या आरबीआई पंजीकृत बैंक से कुल निवेश की 15 प्रतिशत और अधिकतम 15 लाख तक की सहायता दी जाती है। स्टार्टअप को यह मदद केवल चार बार मिलती है।
2. महिलाओं और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति श्रेणी वालों स्टार्टअप को तीन प्रतिशत ज्यादा यानी 18 प्रतिशत तक मदद मिलती है।
3. तीन साल तक के लिए 50 प्रतिशत लीज रेंट की प्रतिपूर्ति जो अधिकतम पांच हजार प्रतिमाह है। अपने उत्पाद का पेटेंट कराने के लिए 25 लाख तक की सहायता मिलती है।
4. स्टार्टअप द्वारा अपने देश के घरेलू कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए प्रति आयोजन 50,000 तक के व्यय का 75 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भागीदारी के लिए प्रति आयोजन डेढ़ लाख रुपए तक के व्यय की प्रतिपूर्ति सरकार करती है।
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