Bhupendra Singh- पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके सहयोगियों पर प्रताडि़त करने का आरोप, नीलेश आत्महत्या केस में कोर्ट का आदेश
Bhupendra Singh- मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक आदिवासी की आत्महत्या के मामले में देश के सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी से जांच कराने के आदेश दिए हैं। मामला पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह से जुड़ा है। सागर के बहुचर्चित नीलेश आत्महत्या केस में सर्वोच्च न्यायालय ने डीजीपी को 3 सदस्यीय एसआइटी से जांच कराने के आदेश दिए हैं। मृतक नीलेश की पत्नी रेवा की याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। पीडि़ता का आरोप है कि उनके पति को प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके सहयोगियों ने प्रताडि़त किया था जिससे परेशान होकर ही उन्होंने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठाया। पत्नी का यह भी कहना है कि रसूखदारों के दबाव में शिकायत के बावजूद पुलिस ने मामले में उनकी नहीं सुनी।
नीलेश खुदकुशी केस में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में महत्त्वपूर्ण सुनवाई हुई। कोर्ट ने मप्र के डीजीपी को दो दिनों के भीतर तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित करने के आदेश दिए हैं। यह कदम मृतक की पत्नी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों और पुलिस द्वारा कथित रूप से कार्रवाई न किए जाने के मद्देनजर उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से कहा गया कि उनके पति नीलेश को राज्य के पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके सहयोगियों ने प्रताडि़त किया, जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली। पीड़िता ने इसी साल 27 जुलाई को पूर्व मंत्री और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआइआर के लिए शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया।
पीड़िता पत्नी इस पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीबीआइ सक्षम जांच एजेंसी है, पर उसकी व्यस्तता के कारण मामले में देरी हो सकती है, इसलिए जांच एसआइटी को सौंपी जाती है। कोर्ट ने प्रदेश के बाहर के एसएसपी रैंक के अफसर के अलावा एएसपी रैंक की महिला अफसर को शामिल करने को कहा। कोर्ट ने एक माह में रिपोर्ट मांगी है।
सागर के मालथौन कस्बे में 25 जुलाई को 42 साल के नीलेश ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। परिवार का आरोप है कि क्षेत्र के दबंगों द्वारा लगातार प्रताडऩा के कारण नीलेश मानसिक रूप से परेशान थे। मृतक की पत्नी रेवा ने पुलिस जांच पर भी कई सवाल उठाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।