भोपाल

चीतों की धमा-चौकड़ी के बीच टाइगर की सुरक्षा कमजोर, टूट रहे घर, जंगलों से बाहर आ रहे बाघ

tiger security alert in mp: टाइगर, चीता स्टेट मध्य प्रदेश में चीतों पर दिया जा रहा पूरा ध्यान, बाघों की सुरक्षा को लेकर कोई नहीं सतर्क, बाघों के घर एमपी के जंगलों से क्यों बाहर आ रहे बाघ, सामने आई बड़ी वजह

2 min read
Feb 01, 2025
Tiger Security Alert in mp

Tiger Security alert in MP: मध्य प्रदेश में चीतों की धमा-चौकड़ी के बीच बाघों की सुरक्षा पर जोर कम होता जा रहा है। यही वजह है कि सुरक्षा के लिए मजबूत कड़ी कहे जाने वाले प्राकृतिक कॉरिडोर (घना वन क्षेत्र) पर काम नहीं हो रहा, जबकि पांच साल पहले रिजर्व और सामान्य वन क्षेत्रों को मिलाकर 21 छोटे-बड़े कॉरिडोर चिह्नित किए थे।

ये वे कॉरिडोर हैं, जो कभी वनों से पटे हुए थे, लेकिन लगातार विकास और वनों की कटाई के चलते जगह-जगह से खंडित हो गए। नतीजा जब भी बाघ इन कॉरिडोर से गुजरते हैं तो कई बार बाहर निकलकर आबादी तक पहुंच रहे हैं जहां ये इंसानों को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं, खुद भी शिकारियों के निशाने पर हैं।

केस - 1 : पेंच और कान्हा के बीच करोड़ों रुपए खर्च

2015 में पेंच टाइगर रिजर्व से कान्हा के बीच 128 किमी के कॉरिडोर को विकसित करने के लिए सिवनी वन वृब को 8 करोड़ रुपए दिए गए थे। 6 करोड़ रुपए पेंच से कान्हा टाइगर रिजर्व के बीच पडऩे वाले दक्षिण सामान्य वन मंडल के करीब 51 किलोमीटर वन क्षेत्र को टाइगर और वन्य जीवों के मूवमेंट के लिए उपयुक्त बनाया जाना था। एक-एक करोड़ नरसिंहपुर और उबर वन मंडल पर खर्च किए जाने थे। गलियारे के चिह्नित वन क्षेत्र में फेंसिंग कराने के साथ साथ ट्रेपिंग कैमरे भी लगाने थे।

केस - 2- औबेदुल्लागंज से बरेठा घाट के बीच शामत

रातापानी टाइगर रिजर्व के कई बाघ, तेंदुए, भालू व दूसरे वन्यजीव ट्रेन की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। कुछ महीने पहले ही दो शावक ट्रेन की चपेट में आ गए। तीसरे घायल शावक की मौत वन विहार में हुई थी। वन विभाग व रेलवे ने तय किया था कि तीसरी रेल लाइन के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा पुल-पुलिया व सुरंगे बनाएंगे, ताकि वन्यजीव सुरक्षित रहें। काफी हद तक इसका पालन हुआ, लेकिन पूर्व से मौजूदा दो पुरानी लाइनों में यह बात लागू नहीं हुई। नतीजा- घटनाएं हो रही हैं।

प्राकृतिक कॉरिडोर संवारने की दिशा में काम तेज करेंगे

प्राकृतिक कॉरिडोर संवारने की दिशा में काम तेज करेंगे, लेकिन यह लंबी प्रक्रिया है। जरूरत के हिसाब से काम चल रहे हैं। तेजी से नतीजे ला पाना संभव नहीं।

-शुभरंजन सेन, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन


Updated on:
01 Feb 2025 10:53 am
Published on:
01 Feb 2025 10:51 am
Also Read
View All

अगली खबर