CG News: बीजापुर अब बस्तर का पहला विज्ञान जिला बन चुका है। जिले के 10 सरकारी स्कूलों में एस्ट्रोनॉमी लैब की स्थापना की गई है, जहां बच्चे अब ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया को अपनी आंखों से देख और समझ रहे हैं।
CG News: @आकाश मिश्रा/ मो. इरशाद खान. बस्तर के बीजापुर से आ रही यह तस्वीर अब भय की नहीं, बदलाव की है। कभी नक्सलवाद की वजह से धमाकों से कांपने वाले इस जिले में अब बच्चों की आंखों में ब्रह्मांड को समझने की जिज्ञासा है। यहां के युवा अब बंदूक से दूर हो रहे हैं और टेलीस्कोप उठाकर अंतरिक्ष की ओर देख रहे हैं। बीजापुर अब बस्तर का पहला विज्ञान जिला बन चुका है।
जिले के 10 सरकारी स्कूलों में एस्ट्रोनॉमी लैब की स्थापना की गई है, जहां बच्चे अब ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया को अपनी आंखों से देख और समझ रहे हैं। बीजापुर के डीईओ एलएल धनेलिया बताते हैं कि पामेड़, गांगलूर, भोपालपट्टनम, मद्देड़, नेमेड, कुटरू, भैरमगढ़, आवापल्ली, उसूर जैसे धुर नक्सल प्रभावित रहे इलाके में अब खगोलशास्त्र की प्रयोगशालाओं में बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए उत्सुक नजर आ रहे हैं।
टेलीस्कोप से ज्ञान, शुभांशु से प्रेरणा
भारत के स्पेस यात्री शुभांशु की सफलता ने बीजापुर के बच्चों में अंतरिक्ष को लेकर नई चेतना जगाई है। बच्चों को सूर्य-चंद्रग्रहण, उल्कापिंडों की बारिश, धूमकेतु, भूकंप, ऋतु परिवर्तन और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं को वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से व्यावहारिक रूप में समझाया जा रहा है।
कभी डरते थे स्कूल जाने में, अब विज्ञान सीखने की होड़
कभी जहां स्कूल जाने से पहले बच्चे सुरक्षा की चिंता करते थे, अब वहां के बच्चे खुद लैब में पहुंचकर अंतरिक्ष को समझ रहे हैं। उनके हाथों में किताबों के साथ अब टेलीस्कोप भी है, और आंखों में सितारों को छूने का सपना है।
पहली डिजिटल एस्ट्रोनॉमी लैब बीजापुर जिले में
यह पहल बस्तर के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। जिले में पहली बार इस स्तर पर डिजिटल एस्ट्रोनॉमी लैब्स स्थापित की गई हैं। यह न सिर्फ शिक्षा का विस्तार है, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
बच्चे जो किताबों में पढ़ते हैं, उसे प्रयोगशालाओं में अनुभव कर रहे हैं। यह सिर्फ एक शैक्षणिक पहल नहीं, बल्कि बस्तर के उज्जवल भविष्य की नींव है।
संबित मिश्रा, कलेक्टर, बीजापुर