Naxal Encounter Update: गंगालूर में आज मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया। वहीं डीआरजी के 3 जवान शहीद हुए हैं। दो जवान घायल हुए हैं। जवानों ने सभी नक्सलियों का शव बरामद कर लिया है।
Naxal Encounter Update: बीजापुर-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच भारी मुठभेड़ हुई है। पश्चिम बस्तर डिवीजन के जंगलों में चल रहे सर्च ऑपरेशन के दौरान यह भिड़ंत सुबह 9 बजे के आसपास शुरू हुई और पूरे दिन रुक-रुक कर गोलीबारी चलती रही। इसके बाद गंगालूर में आज मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया। वहीं डीआरजी के 3 जवान शहीद हुए हैं। दो जवान घायल हुए हैं। जवानों ने सभी नक्सलियों का शव बरामद कर लिया है। मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ सकती है।
1.शहीद प्रधान आरक्षक मोनू वडाड़ी, DRG बीजापुर
2.शहीद आरक्षक दुकारू गोंडे, DRG बीजापुर
3.शहीद जवान जवान रमेश सोड़ी
मुठभेड़ में DRG बीजापुर के जवान सोमदेव यादव सहित एक अन्य जवान घायल हुए हैं। घायल जवानों को प्राथमिक उपचार प्रदान कर दिया गया है तथा वे खतरे से बाहर हैं। आवश्यक उपचार हेतु उपयुक्त व्यवस्था की गई है। घटना की पुष्टि बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने की है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टलिंगम ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से SLR राइफलें, 303 राइफलें और अन्य हथियार व गोला-बारूद जब्त किए गए हैं। मारे गए माओवादियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।
बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि सर्च ऑपरेशन अभी जारी है और क्षेत्र में अतिरिक्त फोर्स भेज दी गई है। जवान पूरे इलाके में गहराई से सर्च कर रहे हैं ताकि भागे हुए नक्सलियों के ठिकानों और उनके हथियारों का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि जंगल में खून के निशान मिले हैं, जो संकेत देते हैं कि कुछ नक्सली गंभीर रूप से घायल होकर भागे हैं।
मुठभेड़ की खबर मिलते ही गंगालूर और आसपास के गांवों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। स्थानीय प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए ग्रामीणों को सुरक्षा बलों के अभियान के दौरान जंगल की ओर जाने से बचने की अपील की है। बस्तर संभाग में यह इस वर्ष की सबसे बड़ी मुठभेड़ों में से एक मानी जा रही है और इसे नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। सुरक्षाबलों ने स्पष्ट कर दिया है कि जंगलों में नक्सलियों की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए गहरी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये जवान बस्तर में शांति और सुरक्षा की लड़ाई के सच्चे अग्रदूत थे, और उनका बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने शोक-संतप्त परिवारों के लिए संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर उन्हें यह असहनीय दुख सहने की शक्ति प्रदान करे तथा वीर जवानों को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। दूसरी ओर, मुठभेड़ में घायल दो अन्य जवानों की हालत खतरे से बाहर बताई गई है। उनके उपचार के लिए समुचित चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। मुख्यमंत्री ने दोनों घायल जवानों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह मुठभेड़ इस बात का संकेत है कि क्षेत्र में नक्सलियों का दबदबा लगातार कमजोर हो रहा है और “लाल आतंक का अंत अब निकट” है।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि राज्य सरकार और सुरक्षाबल “माओवाद के पूर्ण खात्मे” के संकल्प पर अडिग हैं और यह अभियान और अधिक सख्ती से जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक बस्तर के अंतिम गाँव तक शांति, सुरक्षा और विकास का प्रकाश नहीं पहुँच जाता, तब तक नक्सल-विरोधी अभियान जारी रहेगा। सुरक्षाबलों की इस सफल कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि माओवादी संगठनों की गतिविधियाँ लगातार कमजोर हो रही हैं और क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में सुरक्षा बल निर्णायक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।