बीकानेर

‘अपराधियों की कुंडली’ एक क्लिक में होगी सामने, राजस्थान में ICJS पर काम हुआ तेज, जानें कैसे करता है काम?

ICJS Project: राजस्थान के अपराधियों की निगरानी बहुत जल्द ही रियल टाइम डेटा से होने वाली है। इसको लेकर राजस्थान में ICJS प्रोजेक्ट पर काम तेज हो गया है। प्रदेश के सभी पुलिस थानों से हार्डवेयर के लिए साइट प्रिपरेशन की जानकारी मांगी गई है।

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Jun 07, 2025
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स- Freepik)।

जयप्रकाश गहलोत। बीकानेर। राजस्थान के भीतर अपराधियों की कुंडली को सुलभ करने के लिए ICJS प्रोजेक्ट पर काम तेज हो गया है। प्रदेश के अब सभी पुलिस स्टेशनों में नई तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है। इसे सरल भाषा में 'एक डेटा-एक एंट्री' का सिद्धांत कहा जाता है। इस प्रोजेक्ट पर सरकार पुलिस महकमे में करोड़ों का खर्च कर रही है।

दरअसल, अपराध जांच और न्यायिक प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) प्रोजेक्ट को देशभर में लागू किया है। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। पहले चरण में आईटी सिस्टम लागू हुआ। अब दूसरे चरण में ‘एक डेटा-एक एंट्री’ के सिद्धांत पर काम हो रहा है।

ICJS प्रोजेक्ट का NCRB कर रहा निगरानी

राजस्थान में इस परियोजना के तहत प्रत्येक थाने को जरूरी हार्डवेयर मुहैया कराया जाएगा, ताकि पुलिस, जेल, न्यायालय और फोरेंसिक विभाग के बीच डेटा साझा करने की प्रक्रिया तेज हो सके। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) इस परियोजना की निगरानी कर रहा है।

प्रदेश के सभी जिलों से मांगी मांगी गई प्रिपरेशन रिपोर्ट

राजस्थान स्टेट क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने प्रदेश के सभी पुलिस रेंज आईजी, जिला एसपी और आयुक्तालयों को पत्र भेजकर साइट प्रिपरेशन की जानकारी मांगी है। ब्यूरो के महानिरीक्षक शरत कविराज ने मौजूदा संसाधनों का मूल्यांकन कर इसे प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

ICJS प्रोजेक्ट क्या है?

ICJS यानी अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली की संकल्पना सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति की ओर से की गई थी। यह गृह मंत्रालय की परियोजना है। इसका उद्देश्य पुलिस, न्यायालय, जेल, फोरेंसिक व अभियोजन विभागों के बीच डेटा और सूचना का सहज आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है।

ICJS कैसे करता है काम?

ICJS तकनीक से देश के सभी पुलिस थाने, जेल, फोरेंसिंक टीम और कोर्ट कनेक्ट हो सकेंगे। किसी भी अपराधी का डिटेल थाने से सीधा इस पोर्टल पर डाला जा सकेगा। साथ ही सभी महत्वपूर्ण चारों विंग अपराधी के बारे में जानने के लिए एक क्लिक से डिटेल पा सकेंगे। इससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी, पारदर्शिता और सुगमता आएगी।

अपराधियों का ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध होने से समय और अतिरिक्त मेहनत की बचत होगी। तकनीकी समन्वय से अपराध पर बेहतर नियंत्रण किया जा सकेगा।

सभी पुलिस थानों को मिलेंगे ये संयंत्र

डेस्कटॉप विद यूपीएस – 4 यूनिट

सिंगल डिजिट स्कैनर – 6 यूनिट

मोबाइल डेटा टर्मिनल (MTD) – 2 यूनिट

मल्टी-फंक्शन प्रिंटर विद स्कैनर – 1 यूनिट

वेब कैमरा – 4 यूनिट

क्यूआर कोड रीडर – 1 यूनिट

क्यूआर कोड प्रिंटर – 1 यूनिट

फिंगरप्रिंट एनरोलमेंट डिवाइस – 1 यूनिट

आईसीजेएस से हर अपराधी का डेटा एक प्लेटफॉर्म पर होगा। पुलिस, जेल और अदालतों को इससे राहत मिलेगी। - सुमन मालीवाल, अधीक्षक, केन्द्रीय कारागार, बीकानेर

यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिससे आपराधिक डेटा साझा कर अपराध रोकने में मदद मिल रही है। बीकानेर संभाग में इस पर कार्य प्रगति पर है। - ओमप्रकाश, पुलिस महानिरीक्षक, बीकानेर रेंज

Updated on:
07 Jun 2025 10:34 pm
Published on:
07 Jun 2025 08:42 pm
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