कृषि विभाग के साथ खाद्य जांच प्रयोगशाला को मर्ज कर बननी है जैविक खाद्य निर्माण एवं सवर्धन लैब। एफएसएसएआई की टीम कर चुकी है दौरा। प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय का नहीं मिल रहा सहयोग।
दिनेश कुमार स्वामी @ बीकानेर. केन्द्र सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर बीकानेर में प्रदेश की पहली ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ जांच एवं निर्माण व सवर्धन प्रयोगशाला खोलने का मामला खटाई में पड़ गया है। यह लैब खुलने से खाद्य पदार्थों में कीटनाशक सहित पेस्टीसाइड की आ रही मात्रा का पता लगाना संभव हो जाता। साथ ही ऑर्गेनिक फूड के नाम पर बेचे जा रहे रसायनिक खेती के कृषि उत्पादों की हकीकत सामने आ जाती।
उच्च स्तरीय उपकरणों वाली इस प्रयोगशाला को प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय की ओर से संचालित जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला को मर्ज कर बनाया जाना है। आयुक्तालय इसमें उपकरणों और जगह आदि का बहाना कर इसे टालने का प्रयास कर रहा है।
एफएसएसएआई ने पिछले साल 24 अक्टूबर को प्रदेश के खाद्य सुरक्षा निदेशालय को पत्र भेजकर जैविक खाद्य उत्पादों की जांच सुविधा के लिए उच्च स्तरीय उपकरण उपलब्ध कराने का ऑफर दिया। इसके बाद एफएसएसएआई की नई दिल्ली से टीम ने बीकानेर में जैविक खाद्य जांच प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए बीकानेर का दौरा किया। टीम ने कृषि विश्वविद्यालय और वेटरनरी विश्वविद्यालय में लैब स्थापित करने के लिए जगह देखी।
इसके बाद गत 5 मार्च को मेडिकल कॉलेज परिसर में संचालित जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला प्रभारी ने प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त को रिपोर्ट भेजकर केन्द्र सरकार की ओर से खोली जा रही लैब के प्रोजेक्ट में अड़ंगा डाल दिया। उन्होंने मौजूदा खाद्य सुरक्षा जांच प्रयोगशाला को प्रस्तावित आधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशाला में शिफ्ट करने के लिए लागत आने, नई जगह पर रिनोवेशन कराने आदि की परेशानी गिना दी है।
स्टाफ के अभाव में आधे नमूनों की जांच ही नहींसंभाग के बीकानेर, श्रीगंगानगर तथा हनुमानगढ़ जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए संभाग मुख्यालय पर एसपी मेडिकल कॉलेज में संचालित जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। इसका संचालन प्रदेश का खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय जयपुर करता है। अभी यहां प्रयोगशाला प्रभारी इन्द्रजीत के पास बीकानेर और चूरू दो प्रयोगशाला का चार्ज है। बीकानेर लैब में तीन ही तकनीकी कार्मिक है। पिछले साल 2024 में सीएमएचओ की ओर से सर्विलांस के भेजे गए 2550 खाद्य पदर्थों के नमूनों में से 1342 की जांच ही प्रयोगशाला में की गई। हालांकि एक्ट कार्रवाई के 1551 नमूनों की जरूर प्रयोगशाला में जांच कर रिपोर्ट जारी की गई। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड की एफएसएसएआई की लैब बनती है तो राज्य की यह प्रयोगशाला भी उसमें मर्ज हो जाएगी। जिससे जांच के लिए स्टाफ और उपकरणों की परेशानी भी दूर हो जाएगी।
एफएसएसएआई की टीम ने कृषि और वेटरनरी विश्वविद्यालय का दौरा किया। दोनों ही विश्वविद्यालय जगह उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। परन्तु जैविक खाद्य जांच प्रयोगशाला के साथ मेडिकल कॉलेज में संचालित जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला को शिफ्ट करने के लिए खर्च आएगा। इसी खर्च की मांग एफएसएसएआई से की गई है।
-इन्द्रजीत, प्रभारी जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला बीकानेर