जेलों में हथियार, यहां तक कि पिस्टल पहुंचना भी अब आम बात हो गई है। मोबाइल तो जैसे जेल में बंद हर बड़े अपराधी को मुहैया हुई खास सहूलियत हो गई है, जो किसी न किसी राह से उस तक बैरकों और कोठरियों तक में पहुंच जाती है। नतीजे में जेलों में हत्याकांड से लेकर जेल से बाहर की दुनिया में फिरौती के लिए अपहरण और हत्याकांड जैसी घटनाएं हो रही हैं। जिनके तार जेलों में बंद अपराधियों से जुड़ना भी जैसे आम बात हो गई है। हैरत की बात यह है कि सालों-साल से चल रहे इस खेल का तोड़ जेल प्रशासन या विभाग नहीं निकाल पा रहा है।
जयप्रकाश गहलोत/बीकानेर. व्यवस्था दो स्तरीय हो। त्रिस्तरीय हो या चार स्तरों वाली। जेल की सुरक्षा को जैसे जंग लग चुकी है। छूटने का नाम ही नहीं लेती। जेलों में हथियार, यहां तक कि पिस्टल पहुंचना भी अब आम बात हो गई है। मोबाइल तो जैसे जेल में बंद हर बड़े अपराधी को मुहैया हुई खास सहूलियत हो गई है, जो किसी न किसी राह से उस तक बैरकों और कोठरियों तक में पहुंच जाती है। नतीजे में जेलों में हत्याकांड से लेकर जेल से बाहर की दुनिया में फिरौती के लिए अपहरण और हत्याकांड जैसी घटनाएं हो रही हैं। जिनके तार जेलों में बंद अपराधियों से जुड़ना भी जैसे आम बात हो गई है। हैरत की बात यह है कि सालों-साल से चल रहे इस खेल का तोड़ जेल प्रशासन या विभाग नहीं निकाल पा रहा है। ताजा घटना बीकानेर जेल से संबंधित है। यहां केन्द्रीय कारागार में बंदियों की बैरक के पास एक मोबाइल मिला है। कारागार की सेल नंबर पांच के बैरक नंबर 20 की तलाशी के दौरान जमीन में दबा यह मोबाइल मिला। इसमें सिमकार्ड भी डाला हुआ था। सुरक्षा प्रहरी मातादीन पुत्र गोपाललाल मीणा की ओर से बीछवाल थाने में मामला दर्ज कराया गया है। वैसे इस साल अब तक 13 मोबाइल बरामद हो चुके हैं। जबकि साल 2018 में सर्वाधिक 52 मोबाइल मिल चुके हैं।
जेल में सिम लगा मोबाइल मिलने के बाद इस फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भी भेजने के बारे में भी जेल प्रशासन सोच रहा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस मोबाइल का उपयोग हुआ है या नहीं। हुआ है, तो कहां और कितनी बार बात की गई है। साइबर सेल की मदद से उस कैदी का भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी, जिसके लिए यह मोबाइल जेल परिसर के भीतर पहुंचाया गया।
बीकानेर जेल में चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद जेल में बड़ी आसानी से मोबाइल व आपत्तिजनक सामग्री पहुंच रही है। हर दो-तीन माह में जेल की बैरकों की जांच में मोबाइल फोन, सिम, चार्जर, मादक पदार्थ, हथियार व अन्य सामान बरामद होता है। ऐसा तब है, जेल में प्रवेश द्वार पर जेल सुरक्षाकर्मी जांच करते हैं। मुख्य द्वार पर आरएसी व जेल प्रशासन के अधिकारी व जवान जांच करते हैं। जेल में प्रवेश पर मेटल डिटेक्टर से जांच की जाती है। इसके बाद में जेल में से अंदर सामान आने और बाहर जाने वाले की जांच स्केनर मशीन से की जाती है।
- वर्ष 2013 में बंदी पवन कुमार, मूलाराम और करनैल सिंह की बंदी मुस्लिम उर्फ रामसिंह ने ईंट से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
- वर्ष 2014 में कुख्यात अपराधी आनंदपाल और राजू ठेहट गैंग के बीच गैंगवार हुई, जिसमें आनंदपाल के खास बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट गैंग के बंदी जयप्रकाश और रामपाल की मौत हो गई। बानूड़ा को गोली लगी थी, जबकि जयप्रकाश और रामपाल को अन्य बंदियों ने ईंट व पत्थरों से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था।
- वर्ष 2019 में जेल में धूम्रपान को लेकर बंदी और सुरक्षा प्रहरी भिड़ गए। तब सजायाफ्ता बंदी सुरेन्द्र ने जेल प्रहरी पर ब्लेड से हमला कर घायल कर दिया।
- वर्ष 2022 में जेल में विचाराधीन बंदी हंसराज, गुरजीत सिंह व रघुवीर सिंह का विचाराधीन बंदी नागौर निवासी दिनेश उर्फ विक्की से झगड़ा हो गया। झगड़े में दिनेश पर नुकीले हथियार से हमला किया गया।
- वर्ष 2022 जेल की सुरक्षा में तैनात आरएसी जवान को वॉच टावर से मोबाइल गिराते पकड़ा गया। जवान ने पांच मोबाइल गिराए थे। आरोपी जवान निलंबित किया गया।
- वर्ष 2023 में विचाराधीन बंदी साजिद हुसैन की बंदी बुद्धराम ने हत्या कर दी।
- वर्ष 2018 में बीकानेर जेल में बंदी गुरप्रीत उर्फ गोपी पुत्र गुरदेवसिंह एवं नत्थासिंह पुत्र अंग्रेजसिंह के पास 12 मोबाइल, दो सिम, छह चार्जर, नौ ईयरफोन एवं दो बैट्री मिली। बंदी गुरप्रीत ने सुरक्षा प्रहरी सुभाषचन्द्र बिश्नोई पर मोबाइल मुहैया कराने का आरोप लगाया था। सालभर में जेल से 52 मोबाइल बरामद किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बीकानेर कारागार में विशेष तलाशी अभियान के दौरान 40 मोबाइल, चार्जर और सिम कार्ड बरामद हुए थे।
- बीकानेर जेल से बंदी क्रिकेट सट्टा करने के साथ कइयों के साथ कर चुके ठगी।
- नेताओं व जनप्रतिनिधियों से फिरौती की मांग।
- हर दिन कोई बंदी सोशल मीडिया पर फोटो व लाइव स्टेटस डाल रहे।
- मोबाइल व सोशल मीडिया पर बंदियों के अपडेट रहने के प्रकरण औचक निरीक्षण में सामने आ चुके।
- साल - मोबाइल - लिप्त बंदी
- 2017 - 3 - 3
- 2018 - 52 - 20
- 2019 - 19 - 15
- 2020 - 1 - 1
- 2021 - 12 - 10
- 2022 - 25 - 29
- 2023 - 4 - 7
- 2024 - 13 - 7
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि जेलों में मिलने वाले मोबाइल की टेक्निकल जांच कराई जाती है। मोबाइल में कौन-कौन-सी सिम डाली जाती है और कहां-कहां किससे क्या बात हुई है। इस आधार पर कई वारदातों को रोका भी गया है। हाल ही में जेल में मिले मोबाइल की भी जांच कराई जा रही है।