Dussehra 2025: गांव में रावण की 10 साल पुरानी कोट पैंट पहने हुए प्रतिमा भी है, जो खंडित हो चुकी है। ठीक इसी मूर्ति के निकट में राम जानकी का मंदिर भी है।
Dussehra 2025: @ढालसिंह पारधी। देश भर में ज्यादातर जगहों पर रावण दहन की परंपरा है लेकिन बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक के ग्राम तार्री में दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। गांव में रावण की 10 साल पुरानी कोट पैंट पहने हुए प्रतिमा भी है, जो खंडित हो चुकी है। ठीक इसी मूर्ति के निकट में राम जानकी का मंदिर भी है। गांव के लोग रावण को अत्याधिक ज्ञानी पंडित मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं।
कानपुर में 1868 में बना रावण का मंदिर साल में एक बार दशहरा पर ही खुलता है और जलाभिषेक व पूजा होती है। मध्यप्रदेश के कुसमी में रावण दहन के बाद पूरे गांव को पान खिलाकर मुंह मीठा कराने की अनूठी परंपरा भी है।
राजस्थान के कोटा में 131 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन। इस बार यहां दुनिया का सबसे ऊंचा 221.5 फीट का रावन पुतला बनाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर की थीम पर ड्रोन शो। अयोध्या के श्रीरामलला मंदिर की प्रतिकृति का आकर्षण।
गरियाबंद के देवभोग में इस दिन मां लंकेश्वरी देवी रावण के पुतले की परिक्रमा करती हैं। परिक्रमा पूरी हो जाती है तब रावण के पुतले का दहन किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को देव दशहरा के नाम से भी यहां के लोग जानते हैं। लोगों की मानें तो करीब 200 सालों से परंपरा का पालन होता आ रहा है।
कोंडागांव के भूमका और हिर्री में रावन दहन नहीं होता। यहां गांवों में मिट्टी का रावण बनाकर उसका वध किया जाता है। परंपरा के अनुसार रावण की नाभि से अमृत निकालने का विधान है। रामलीला मंचन के दौरान रावण की नाभि से एक तरल पदार्थ जिसे ग्रामीण अमृत मानते हैं, निकाला जाता है और उसका तिलक लगाकर स्वयं को पवित्र मानते हैं।
गुंडरदेही जिले के सिरसिदा गांव में दशहरा के दिन तालाब के बीच तैरते हुए रावण का दहन किया जाता है। यह एक अनूठी परंपरा है जो 1994 से चली आ रही है, जिसमें भगवान राम के पात्र रॉकेट से रावण के पुतले की नाभि में निशाना साधते हैं, जो पेट्रोल से भरी होती है, और इससे रावण आसानी से जल जाता है।