बिलासपुर

बगैर मान्यता वाले स्कूलों में एडमिशन पर रोक, आरटीई एडमिशन में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त

Chhattisgarh High Court: आरटीई के तहत एडमिशन में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त, बिना मान्यता वाले स्कूलों में नए सत्र में प्रवेश पर रोक। शिक्षा सचिव से 5 अगस्त तक शपथपत्र में जवाब तलब।

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बगैर मान्यता वाले स्कूलों में एडमिशन पर रोक (Photo source- Patrika)

Chhattisgarh High Court: गरीब बच्चों को शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत एडमिशन में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा बिना मान्यता वाले स्कूल बंद होने चाहिए। स्कूलों में विधिवत बच्चों का एडमिशन हो। साथ ही बगैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में नए सत्र में प्रवेश पर रोक लगाते हुए एजुकेशन सेक्रेटरी को 5 अगस्त से पहले शपथपत्र में जवाब देने के निर्देश दिए हैं।

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Chhattisgarh High Court: जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लगाया जा रहा जुर्माना

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में शुक्रवार को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दाखिलों में गड़बड़ी पर सुनवाई हुई। इस संबन्ध में जनहित याचिका और हस्तक्षेप याचिका दायर की गई हैं। कोर्ट ने 30 जून 2025 को उक्त प्रकरण में हुई सुनवाई के बाद संचालक, लोक शिक्षण विभाग को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया था।

संचालक, लोक शिक्षण विभाग ने शपथपत्र में बताया कि प्रदेश में कक्षा नर्सरी से केजी 2 तक के गैर शासकीय स्कूलों की संख्या 72, प्राथमिक शालाओं की संख्या 1391, पूर्व माध्यमिक शालाओं की संख्या 3114, उच्चतर माध्यमिक तक शालाओं की संख्या 2618 है। बिना मान्यता के संचालित हो रहे स्कूलों पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जुर्माना लगाया जा रहा है।

नर्सरी-केजी की मान्यता न लेने पर भी सवाल

याचिका पर सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि अगली सुनवाई के पूर्व शपथपत्र प्रस्तुत कर बताएं कि 2013 के विनियम के अनुसार नर्सरी से केजी की मान्यता लेने संबंधी दिशा निर्देश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा, और ऐसे स्कूल बिना मान्यता के क्यों संचालित किए जा रहे? आगामी आदेश तक बिना मान्यता वाले स्कूलों में प्रवेश पर रोक लगाने की रिपोर्ट पेश करें।

संचालक के शपथपत्र में गलत जानकारी

Chhattisgarh High Court: लोक शिक्षण संचालक ने यह भी बताया कि प्राइमरी स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य है, किंतु जिन शालाओं में नर्सरी से केजी 2 तक की कक्षाएं संचालित है, उनको मान्यता लेना अनिवार्य नहीं है। इस पर हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ता ने संचालक के शपथपत्र का खण्डन करते हुए कोर्ट को अवगत कराया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत छत्तीसगढ़ शासन ने 7 जनवरी 2013 को विनियम लागू किया गया था। इसके अनुसार समस्त गैर शासकीय शालाएं जहां नर्सरी से केजी 2 की कक्षाएं संचालित है, उनको भी मान्यता लेना अनिवार्य है।

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Published on:
12 Jul 2025 09:13 am
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