High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक मामले में सरकारी कामकाज पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि लालफीताशाही के कारण विभागों में फाइल महीनों, वर्षों तक लंबित रहती हैं।
High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक मामले में सरकारी कामकाज पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि लालफीताशाही के कारण विभागों में फाइल महीनों, वर्षों तक लंबित रहती हैं। सरकारी विभागों में ईमानदारी के साथ ही प्रतिबद्धता के साथ काम करने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी सरकारी निकायों, उनकी एजेंसियों और संस्थाओं के पास देरी के लिए उचित और स्वीकार्य कारण न हो तो उनका स्पष्टीकरण स्वीकार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रकरण के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव ने अपने विभाग की रिटायर्ड महिला कर्मचारी के पक्ष में हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में 107 दिन बाद चुनौती दी। याचिका दायर करने में देर के लिए राज्य सरकार ने विभागीय आदेश, फाइल चलने सहित विभागीय कारण गिनाए।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर कहा गया कि सिंगल बेंच ने 23 अप्रैल 2025 को आदेश पारित किया। 11 सितंबर 2025 को विधि और विधायी कार्य विभाग ने रिट अपील दायर करने की मंजूरी दी।
समाज कल्याण विभाग की सेवानिवृत्त महिला अधिकारी मंगला शर्मा के पक्ष में सिंगल बेंच ने आर्डर किया था। महिला को 20 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद हक मिला था। हाईकोर्ट ने माना था कि अधीक्षिका मंगला शर्मा को वर्ष 2007 की डीपीसी में जानबूझकर पदोन्नति से वंचित किया गया। कोर्ट ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणी करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण कृत्य बताया था।
कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के सचिव को निर्देशित किया था कि वे 2007 की विभागीय पदोन्नति समिति की तर्ज पर समीक्षा डीपीसी आयोजित कर निर्णय लें और मंगला शर्मा को उसी पद के अनुरूप रिटायरमेंट ड्यूज और पेंशन का भुगतान करें। कोर्ट ने 90 दिनों के भीतर प्रक्त्रिस्या पूरी करने कहा। सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने डीबी में अपील की, जो खारिज कर दी गई।