Kalki Koechlin Says About Work Pressure: Kalki Koechlin ने हाल ही में बॉलीवुड के थकाऊ वर्क कल्चर पर अपनी चुप्पी तोड़ी है, जिसमें एक्ट्रेस ने रेस्ट पीरियड्स और प्रोजेक्ट्स के बीच संतुलन बनाए रखने की अहमियत पर जोर दिया है।
Kalki Koechlin Says About Work Pressure: बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने फिल्म इंडस्ट्री के कामकाज की असली तस्वीर सामने रखी है और उन्होंने बताया कि यहां एक्टिंग का प्रोफेशन जहां ग्लैमर से भरा है, तो वहीं काम के दौरान 12 घंटे से अधिक चलने वाली शिफ्टें स्टार्स के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर भारी पड़ती हैं। इस पर उनका कहना है कि अक्सर शूटिंग का समय निर्धारित कॉल टाइम से बहुत देर से शुरू होता है और समाप्त होने का कोई निश्चित समय नहीं होता।
कल्कि कोचलिन ने बताया, "सुबह 10 बजे शुरू होने वाला कॉल टाइम हमेशा लेट हो जाता है और रात 10 बजे के बाद भी पैक-अप नहीं होता।" उन्होंने विदेशी सेट्स के बारे में कहा कि वहां समय के नियम कड़ाई से पालन होता है, जिससे स्टार्स और क्रू मेंबर्स दोनों ही अच्छी वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रख पाते हैं। इस तुलना ने उन्हें और उनके साथियों को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में सुधार की जरूरत महसूस कराई है। इतना ही नहीं, कल्कि कोचलिन ने फिल्ममेकर्स से अपील की है कि वे हॉलीवुड जैसी समयबद्ध शूटिंग शेड्यूल और नियमित आराम के समय को अपनाएं। उनका मानना है कि इससे न केवल एक्टर्स की थकान कम होगी बल्कि प्रोडक्शन की क्वालिटी भी बढ़ेगी। कल्कि खुद भी फिलहाल अपने प्रोजेक्ट्स को सोच-समझकर चुनती हैं ताकि बेहतर परफॉर्मेंस दे सकें।
बता दें, उनकी अपकमिंग फिल्म 'सॉन्ग' जल्द ही कई अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल्स में प्रदर्शित होगी। इसके बाद थिएटर में रिलीज भी होगी। कल्कि की ये आवाज बॉलीवुड में बेहतर वर्किंग कल्चर की मांग को मजबूती दे रही है। ये बयान ऐसे में समय आया है जब वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बॉलीवुड में चर्चाएं तेज हो रही हैं। हाल ही में एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने मां बनने के बाद 8 घंटे की शिफ्ट की मांग की थी, जिसे लेकर इंडस्ट्री में बहस छिड़ गई थी।
अब कल्कि ने इस बहस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि केवल घंटों की कमी नहीं बल्कि काम करने के तरीके में भी सुधार जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, "अगर बॉलीवुड को ग्लोबल स्तर पर अपनी पहचान मजबूत करनी है तो वर्क इंडस्ट्री में रूल्स लानी होगी लेकिन रेस्ट पीरियड्स और प्रोजेक्ट्स को देखते हुए।" उनकी ये बात बॉलीवुड के उस अव्यवस्थित माहौल पर कटाक्ष भी है, जिससे कलाकारों को परिवार से दूर रहना पड़ता है और लगातार मानसिक-शारीरिक दबाव झेलना पड़ता है।
बता दें, कल्कि की ये मांग इंडस्ट्री में एक पॉजिटीव बदलाव की उम्मीद जगाती है। उन्होंने हॉलीवुड की तरह 8-10 घंटे के सख्त शेड्यूल लागू करने की सलाह दी है, जो कलाकारों की सेहत और काम की गुणवत्ता दोनों के लिए लाभदायक होगा।