देश को आजाद हुए 78 वर्ष बीत गए, लेकिन इतने वर्षों में भी सामरा गांव के लोगों को पक्की सडक़ नसीब नहीं हुई। सडक़ से वंचित इस गांव की समस्या को राजस्थान पत्रिका लगातार उठाता रहा। आखिरकार सामरा गांव के लिए सडक़ निर्माण को मंजूरी मिली। सोमवार को 3 किलोमीटर लंबी सडक़ निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया।
बड़ाखेड़ा. देश को आजाद हुए 78 वर्ष बीत गए, लेकिन इतने वर्षों में भी सामरा गांव के लोगों को पक्की सडक़ नसीब नहीं हुई। सडक़ से वंचित इस गांव की समस्या को राजस्थान पत्रिका लगातार उठाता रहा। आखिरकार सामरा गांव के लिए सडक़ निर्माण को मंजूरी मिली। सोमवार को 3 किलोमीटर लंबी सडक़ निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। सडक़ निर्माण के शिलान्यास के साथ ही ग्रामीणों के चेहरे पर वर्षों बाद खुशी दिखाई दी। उनकी लम्बे समय से लंबित मांग आखिरकार पूरी हो गई।
सामरा गांव में बैरवा समाज के लगभग 60 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी करीब 300 है। ग्रामीण लंबे समय से पक्की सडक़ निर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन सदैव आश्वासन ही मिलता रहा। सडक़ निर्माण न होने के पीछे भूमि विवाद मुख्य कारण था। खेत के मालिक द्वारा रास्ता नहीं देने पर निर्माण अटका हुआ था। बाद में सहमति बनने पर खेत से सडक़ के लिए रास्ता उपलब्ध कराया गया और निर्माण का मार्ग साफ हुआ।
एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती
सडक़ नहीं होने से ग्रामीणों को वर्षों तक भारी परेशानियां झेलनी पड़ीं। गांव से नजदीकी बड़ाखेड़ा कस्बा मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती थी। बारिश के दिनों में हालात और भी बदतर हो जाते थे। गर्भवती महिलाओं और मरीजों को ग्रामीण मजबूरी में चारपाई पर उठाकर बड़ाखेड़ा तक ले जाते थे। कई बार समय पर इलाज नहीं मिलने से लोगों को गंभीर परेशानियां झेलनी पड़ती थीं। गांव के अधिकांश परिवार मजदूरी व खेती पर निर्भर हैं, ऐसे में पक्की सडक़ उनकी जरूरत थी, सुविधा नहीं। कीचड़ और दलदल भरे रास्तों से अब मुक्ति मिलेगी।भूमि पूजन के दौरान माखीदा के प्रशासक रमेशचंद्र पालीवाल, हेमंत पालीवाल, गोपाल रेबारी, महेंद्र, सूरजमल मीणा, मदन लाल बैरवा, तरुण, बालमुकुंद, रामकल्याण सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे।