पांच करोड़ की लागत की 50 बीघा भूमि निशुल्क मिलने के बाद भी कृषि विपणन बोर्ड व कृषि उपज मंडी स्वीकृति के आठ वर्ष बाद भी नैनवां में गौण मंडी चालू नहीं कर पाया।
नैनवां. पांच करोड़ की लागत की 50 बीघा भूमि निशुल्क मिलने के बाद भी कृषि विपणन बोर्ड व कृषि उपज मंडी स्वीकृति के आठ वर्ष बाद भी नैनवां में गौण मंडी चालू नहीं कर पाया। एक उलझन सुलझती उससे पहले ही दूसरी उलझन पैदा होने से निर्माण साल दर साल लेट होता जा रहा है। पहले भूमि की किस्म, फिर भूमि की दर की उलझन सुलझी तो अब बजट की उलझन पैदा हो गई। गौण मंडी की स्वीकृति के बाद प्रदेश में दो सरकारें बदल गई, लेकिन जिंसों की खरीद के लिए गौण मंडी का ढांचा तैयार नहीं हो पाया।
उपखण्ड मुख्यालय होने व आसपास के पचास से अधिक गांवों का जुड़ाव होने से किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले। इसको देखते हुए नैनवां में गौण मंडी की आवश्यकता को देखते हुए 23 मार्च 2017 को जिला कलक्टर ने मंडी की स्थापना के लिए हाइवे के पास नगरपालिका को 50 बीघा भूमि आवंटित की थी। भूमि आवंटन होते ही उस समय कृषि मंत्री रहे प्रभूलाल सैनी ने 5 अप्रेल 2017 को नैनवां में गौण मंडी की स्वीकृति जारी करवाकर कृषि विपणन बोर्ड से राशि भी स्वीकृत करवा दी थी।
मंडी यार्ड के निर्माण के लिए आवंटित भूमि का राजस्व विभाग ने 12 अप्रेल को ही नामांतरण भी खोल दिया था। उसके बाद राजस्व विभाग ने ही भूमि की किस्म को लेकर उलझन पैदा कर दी। भूमि को झाड़-झंकाल वाली होने की रिपोर्ट कर दी। बाद में सरकार के स्तर पर इस उलझन को सुलझाया तो फिर भूमि किस्म परिवर्तन की उलझन सामने खड़ी कर दी। यह मामला भी राज्य सरकार के स्तर पर सुलझाया जाकर 3 फरवरी 2020 को भूमि की किस्म परिवर्तन की गई।
गौण मंडी की इस भूमि का आवंटन नगरपालिका के नाम होने से नगरपालिका ने कृषि उपज मंडी को भूमि की डीएलसी दर की राशि जमा कराने को कहा। नगरपालिका ने 17 जुलाई 2020 को कृषि उपज मंडी को जारी किए डीएलसी दर से 49 प्रतिशत कम राशि से जमा कराने को कहा।
उसके बाद 17 दिसबर 2020 को दूसरा मांगपत्र जारी कर कृषि उपजमंडी को तीन करोड़ 19 लाख रुपए की राशि का मांग पत्र थमा दिया। कृषि उपज मंडी ने राशि अधिक होना बताकर राशि जमा कराने से मना कर दिया। तीन वर्ष तक मामला भूमि की दर तय नही हो पाने से उलझा रहने से मामला अटका दिया।
क्षेत्र के किसानों व व्यापारियों द्वारा मंडी शुरू कराने की मांग उठी तो क्षेत्रीय विधायक व तत्कालीन राज्यमंत्री अशोक चांदना ने मामले को सरकार के सामने रखा। तत्कालीन मुयमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में 2 मार्च 2023 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गौण मंडी के लिए आवंटित 50 बीघा भूमि को कृषि उपज मंडी को निशुल्क देने का अनुमोदन कर दिया। नगरपालिका द्वारा पट्टा जारी कर दिया। भूमि निशुल्क मिलने के बाद कृषि विपणन बोर्ड ने मंडी यार्ड निर्माण की चार दिवारी निर्माण के लिए अगस्त 2023 को ही एक करोड़ 48 लाख की राशि स्वीकृत कर दी। कार्य 26 अप्रेल 2024 को ही पूरा होना था। लेकिन कृषि विपणन बोर्ड व कृषि उपज मंडी की अनदेखी के चलते न चार दिवारी का कार्य पूरा हो पाया और न ही आंतरिक संरचना के लिए बजट उपलब्ध कराया जा रहा।