नैनवां में हुई अतिवृष्टि से उड़द, सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलें पूरी तरह गल गई हैं।
नैनवां. नैनवां में हुई अतिवृष्टि से उड़द, सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलें पूरी तरह गल गई हैं। खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे फसलें इतनी सड़ गई हैं कि उनका चारा के रूप में भी उपयोग नहीं हो सकता।
उपखंड नैनवां असिंचित क्षेत्र होने के कारण अधिकतर किसानों ने उड़द और सोयाबीन की बुवाई की थी। इस वर्ष उपखंड में 69,550 हेक्टर में खरीफ की बुवाई हुई, जिसमें 29,214 हेक्टर में उड़द और 27,950 हेक्टर में सोयाबीन की बुवाई शामिल थी। बुवाई के बाद डीएपी और यूरिया खाद भी डाली गई थी, लेकिन अतिवृष्टि ने फसलें बर्बाद कर दी।
समीधी के किसान आशाराम मीणा, भोमपुरा के रामावतार गुर्जर, दलेलपुरा के शोजीलाल मीणा और बबूली के रामप्रकाश नागर ने बताया कि अत्यधिक बरसात के कारण खेत कई दिनों तक पानी में डूबे रहे। खानपुरा, दुगारी, भजनेरी, फुलेता, रजलावता, मोडसा, डोकुन, गुढ़ादेवजी, डोडी, बांसी, समीधी और गभीरा ग्राम पंचायतों में कई दिनों तक खेतों में बाढ़ का पानी जमा रहा। बाढ़ के पानी के साथ उड़द और सोयाबीन के पौधे बह गए।
फुलेता के सरपंच आशाराम बैरवा, दुगारी के रामलाल खींची और बांसी के सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि गांवों में शत-प्रतिशत फसल नष्ट हो गई। नैनवां के सहायक कृषि अधिकारी खुशराज नागर ने बताया कि उपखंड में कुल 69,550 हेक्टर में खरीफ की बुवाई हुई थी, जिसमें सबसे अधिक 57,164 हेक्टर में उड़द और सोयाबीन की बुवाई की गई। पूरे उपखंड में अतिवृष्टि से लगभग 75 प्रतिशत फसलें नष्ट हो चुकी हैं।
लगातार बरसात से खेतों में फसल नष्ट
नोताडा. क्षेत्र में लगातार हुई बरसात व बाढ़ के हालातों से किसानों को मकानों के अलावा खेतों में भी नुकसान पहुंचा है। खेतों में सोयाबीन, उड़द, मक्का की फसलो की अधिक बरसात होने व खेतों में पानी भरा रहने की वजह से फसलें नष्ट हो चुकी है। वहीं नोताडा देवनारायण बाग के निकट खेतों में अभी भी बरसाती पानी भरा हुआ है। धान की फसल तक नजर नहीं आ रही है। रेबारपुरा निवासी शंकरलाल रैबारी ने बताया की लगातार हुई बरसात व मेज नदी, खेडीया खाळ में बाढ़ के हालातों के चलते उड़द, सोयाबीन व मक्का की फसलें नष्ट हो चुकी है। जिन खेतों में फसल नहीं डुबी उनमें भी ज्यादा बरसात के चलते फसलों की जड़ें गल गई जिसके चलते फलाव नहीं आ पाया।
लगातार बरसात के चलते क्षेत्र में धान, सोयाबीन, उड़द, मक्का, तिल्ली आदि फसलों में काफी नुकसान देखा गया है। जिसको लेकर खराबे की रिपोर्ट तैयार करके जिला कलक्टर को भेजी जा चुकी है।
लालचंद मीणा, वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक देईखेड़ा