बूंदी/गोठड़ा. गैर सरकारी विद्यालयों को आरटीई के तहत दी जाने वाली पुनर्भरण राशि में चार साल पहले की गई कटौती के बाद इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया है। जबकि महंगाई हर साल बढ़ रही है, जिससे गैर स्कूल संचालकों में रोष है। वर्तमान में जिले में माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा के 472 गैर सरकारी विद्यालय संचालित है
बूंदी/गोठड़ा. गैर सरकारी विद्यालयों को आरटीई के तहत दी जाने वाली पुनर्भरण राशि में चार साल पहले की गई कटौती के बाद इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया है। जबकि महंगाई हर साल बढ़ रही है, जिससे गैर स्कूल संचालकों में रोष है। वर्तमान में जिले में माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा के 472 गैर सरकारी विद्यालय संचालित है, जिनमें सैकड़ों बच्चे आरटीई के तहत नि:शुल्क पढ़ाई कर रहे हैं। सत्र 2024-25 में गैर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बालकों के लिए पुनर्भरण राशि प्रति बालक प्रतिवर्ष 13737 रुपए
यूनिट कोस्ट तय की गई है। गैर सरकारी विद्यालय संचालकों के पदाधिकारियों का कहना है कि हर साल महंगाई बढ़ रही है। वे तीन-चार साल से यूनिट कोस्ट में वृद्धि की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन 4 साल से यूनिट कोस्ट नहीं बढ़ाई जा रही।
अभिभावक के खाते में भेजेंगे पुस्तकों की राशि
शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष मोदी ने आदेश जारी कर बताया कि सत्र 2024-25 में अध्ययनरत आरटीई के सभी विद्यार्थियों की किताबों की राशि 202 रुपए प्रति छात्र डीबीटी के तहत सीधे अभिभावककों के खाते में जमा होगी, जिसके लिए स्कूल बच्चों के जनाधार पीएसपी पोर्टल पर अपडेट करें। वहीं निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि नि:शुल्क प्रवेशित बच्चों की किताबों का खर्च निजी स्कूलों पर भार बढ़ा रहा है। स्कूलों को किताबों के सरकार 202 रुपए प्रति विद्यार्थी दे रही है, जबकि उनका कोर्स पांच से 10 गुना तक महंगा है। अब यह राशि भी शिक्षा विभाग ने पूरा सत्र बीतने के बाद बच्चों के खाते में ही देना तय किया है। जिससे विभाग एवं गैर सरकारी विद्यालय संचालक आमने-सामने आ गए हैं।
बच्चों के खाते जनाधार से लिंक नहीं
शिक्षा विभाग ने सत्र के अंत में इस साल से किताबों की राशि बच्चों के खातों में डीबीटी करने के लिए उनके जन आधार पीएसपी पोर्टल पर उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी गैर सरकारी विद्यालयों को देते हुए फीस की पुनर्भरण राशि उसके बाद ही जारी करने का आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसे में बहुत से बच्चों के खाते जनाधार से लिंक नहीं होने से समस्या बढ़ गई है। सत्र 2024-25 के पुनर्भरण से पहले पीएसपी पोर्टल पर जन आधार को अपडेट किया जाना है, जिसमें काफी समय लगने की संभावना है।
हर साल महंगाई बढ़ रही हैं, लेकिन पिछले 4 साल से यूनिट कोस्ट नहीं बढऩे से संचालकों में रोष है। नए आदेश के तहत पूरा सत्र पढ़ाने के बाद पाठ्य पुस्तकों की राशि बच्चों के खाते में दी जाएगी। किताबों की राशि अगले सत्र से अभिभावकों को देने के लिए राज्य के गैर सरकारी विद्यालय संचालकों ने प्रदेशभर में ज्ञापन देकर यूनिट कोस्ट में प्रतिवर्ष महंगाई सूचकांक के आधार पर वृद्धि करने की मांग सरकार से की है।
अजीत सिंह चौहान,प्रदेशप्रतिनिधि, मदनलाल कुमावत, संभागीय उपाध्यक्ष, स्कूल शिक्षा परिवार बूंदी।