रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सात बाघ बाघिन व शावक विचरण कर रहे है। इसमें दो बाघ, चार बाघिन व एक शावक है।
बूंदी. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सात बाघ बाघिन व शावक विचरण कर रहे है। इसमें दो बाघ, चार बाघिन व एक शावक है। कोटा से लाए गए बाघ को नौ माह बाद भी खूला जंगल नसीब नहीं हुआ है। अभयारण्य क्षेत्र बड़ा होने एवं प्रे बेस बढ़ने के बाद से यहां अन्य राज्यों से बाघ बाघिन लाए जाने के लिए कई महिनों से कवायद चल रही है, लेकिन अभी तक रामगढ़ विषधारी क्षेत्र को कोई नया मेहमान नहीं मिला है। वहीं नए सीजन में पर्यटकों की सफारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में बाघ बाघिन की संख्या बढऩे पर पर्यटन व्यवसाय के लाभकारी साबित होगा।
जानकारी अनुसार अभयारण्य क्षेत्र में आरवीटी 01 ने एक बाघिन के साथ गुमान बावड़ी के पास काफी दिनों से विचरण कर रहा है। वहीं दो बाघिनों ने रामगढ़ महल के आस पास क्षेत्र को टेरीटरी बनाई हुई है। एक बाघ नौ माह से रामगढ़ महल के पीछे की तरफ बने क्लोजर में कैद है। रणथम्भौर से लाई गई बाघिन इन दिनों कालदां के जंगलों में विचरण कर रही है। इसके अलावा एक शावक जो करीब एक वर्ष का हो चुका है, पूरे जंगल में घुम नहीं रहा है। वहीं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से मध्यप्रदेश के कान्हा, पेंच, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बाघिन तथा रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व में दो बाघिन को शिफ्ट किए जाने की अनुमति प्रदान की है। महाराष्ट्र के तडोवा अन्धेरी एवं पेंच टाइगर रिजर्व से एक-एक बाघिन को शिफ्ट करने की स्वीकृति भी मंत्रालय द्वारा जारी की जा चुकी है। मध्यप्रदेश व राजस्थान के अभयारण्य प्रबंधन ने इस संबंध में तैयारियां भी शुरू कर दी है।
अब तक नहीं मिला उप वन संरक्षक
विगत तीन माह से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व को अपना अधिकारी नहीं मिल पा रहा है। तत्कालीन उपवन सांरक्षक अरबिन्द झा के सेवानिवृत होने के बाद से जिला वन अधिकारी ने ही उप वन संरक्षक का कार्यभार संभाल रखा है, जबकि अभयारण्य के विकास के लिए अलग से अधिकारी होना आवश्यक है। जिले में काफी वन क्षेत्र अधिक होने व रणथम्भौर से लाई गई बाघिन की अभी टेरीटरी नहीं बनने से परेशानी का कारण बनी हुई है।
ऐसे घटा-बढ़ा बाघों का कुनबा
16 मई 2022 में रामगढ़ विषधारी को टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। रणथंभौर का टी-115 खुद प्राकृतिक रूप से चलकर जून 2020 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया, जिसको यहां आरवीटी-1 के रूप में पहचान मिली। वहीं आरवीटी-2 बाघिन (रणथंभौर की टी-102) 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया था, जिसका गत वर्ष कंकाल मिला था। इस बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया, जिनमें से अभी दो मादा शावक अब बाघिन के रूप में अभयारण्य में अपनी टेरेटरी बना चुकी है, एक शावक जीवित नहीं रहा। आरवीटी-3 बाघिन (रणथंभौर की टी-119) अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई। इस बाघिन ने नर शावक को जन्म दिया, जो करीब एक साल का हो चुका है। सरिस्का टाइगर रिजर्व से हरियाणा पंहुचे बाघ को रामगढ़ में आरवीटी 4 के रूप में शिफ्ट किया गया, जिसकी आरवीटी-1 से टेरेटरी फाइट में मौत हो गई।
प्रथम चरण में एक बाघिन लाई जाएगी। अभयारण्य में अभी सात बाघ बाघिन व शावक है। प्रे बेस भी पर्याप्त मात्रा में है। हेलीकॉप्टर से बाघिन को लाए जाने की स्थानीय स्तर पर प्रारम्भिक तैयारी पूरी की जा चुकी है। वायुसेना को जंगल के अंदर के दो स्थानों का चिह्नित कर अवगत कराया गया है। हालांकि अभी हेलीपेड बनाने का कार्य शुरू नहीं किया गया है। जंगल के अंदर हेलीकॉप्टर उतारने की सहमति नहीं बनने पर जिला प्रशासन द्वारा तैयार हेलीपेड का उपयोग किया जाएगा।
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