बूंदी

विद्यालय के दस कमरें जर्जर हालत में,बच्चों को नहीं बिठाएं

कस्बे मे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कुल 25 कमरों में से 10 कमरें जर्जर है। इनमें से भी सुरक्षित कक्ष चार ही है।

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Aug 03, 2025
बडाखेडा. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मे निरीक्षण की जानकारी लेते हुए अधिकारी

बड़ाखेड़ा. कस्बे में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कुल 25 कमरों में से 10कमरें जर्जर है।इनमें से भी सुरक्षित कक्ष चार ही है। वहीं महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में चार कमरों में से दो कमरे सुरक्षित है। रेबारपुरा बस्ती के प्राथमिक विद्यालय में एक कमरा सुरक्षित है। बृजभूषण शर्मा अधिशासी अधिकारी, मनोज कुमार मीणा कनिष्ठ अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग ने विद्यालयो का निरीक्षण किया।

इस दौरान वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की वर्षों पुराने विद्यालय भवन को जर्जर मान लिया गया है। यह भवन दो मंजिल बना हुआ है, जिसकी छत पर पट्टियां है, जिसके चलते कमरों की छत टपकती है। दीवारों से पानी आता है। कमरों में सीलन आती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को नहीं बैठाए। तीनों विद्यालयो में जो कमरे मरमत के लायक है। उनकी मरमत की राशि स्वीकृत करवा दी जाएगी। निरीक्षण के दौरान प्रधानाचार्य आशा मीणा, ग्राम पंचायत प्रशासक प्रदीप सिंह हाडा, रूपचन्द मीणा, इंग्लिश मीडियम बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य शिखा योगी, रेबारपुरा बस्ती की प्रधानाध्यापक यास्मीन अंसारी, महावीर मीणा, रोमेश रायका आदि मौजूद रहे।

धरावण का विद्यालय भवन बच्चे बैठाने लायक नहीं
नोताडा.
झालावाड़ जिले के पिपलोद विद्यालय में हुए हादसे के बाद से ही प्रशासन अलर्ट मोड पर नजर आ रहा है। जगह जगह क्षतिग्रस्त विद्यालयों का निरीक्षण करके जानकारी जुटाई जा रही है।इसी कड़ी में गुरुवार को क्षेत्र के विद्यालयों का निरिक्षण करने के लिए लाखेरी नगरपालिका के अधीशासी अधिकारी नरेश राठौर ने पहुंचकर विद्यालयों के हालातों का जायजा लिया, जिनमें नोताडा विद्यालय के दो कमरों की पट्टिया टुटी हुई मिली, हालांकि दोनों कमरों को पहले से ही ताले लगाकर बंद कर रखा है। रघुनाथपुरा गांव के विद्यालय में पोषाहार वाला कमरा धंसा हुआ था। मालिक पुरा गांव के विद्यालय में भी दो कमरे क्षतिग्रस्त मिले तथा मैदान में पानी भरने की भी समस्या मिली। वहीं इसी पंचायत के धरावण गांव के विद्यालय भवन जजर्र अवस्था में मिला। इस विद्यालय का भवन बच्नों को बैठाने लायक नहीं बताया गया, जिस पर विद्यालय स्टाफ को बच्चों को बैठाने की व्यवस्था सामुदायिक भवन में करने के लिए कहा गया है।

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