चंबल नदी किनारे स्थित केशव धाम परिसर के जीर्णोद्धार की मांग अब गति पकड़ती जा रही है। देवस्थान विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले इस पौराणिक मंदिर की विश्व प्रसिद्ध शिल्प कला के लिए विख्यात भगवान केशवराय मंदिर के शिखर से नींव तक जीर्णोद्धार के लिए बजट की आवश्यकता है।
केशवरायपाटन. चंबल नदी किनारे स्थित केशव धाम परिसर के जीर्णोद्धार की मांग अब गति पकड़ती जा रही है। देवस्थान विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले इस पौराणिक मंदिर की विश्व प्रसिद्ध शिल्प कला के लिए विख्यात भगवान केशवराय मंदिर के शिखर से नींव तक जीर्णोद्धार के लिए बजट की आवश्यकता है। देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त के. के. अग्रवाल ने बुधवार शाम मंदिर का निरीक्षण कर बरसात से पहले होने वाली मरम्मत की संभावना को तलाशा। अभी केवल मरम्मत का काम किया जाएगा। अग्रवाल ने बताया कि मंदिर के शिखर से नींव तक की कलाकृतियों के मूल स्वरूप में लाने से ही इसे बचाना संभव है। इसमें करोड़ों रुपए की जरूरत है इतनी बड़ी धनराशि देवस्थान विभाग से उपलब्ध करवाना संभव नहीं है। शिखर के जीर्णोद्धार को स्वदेश दर्शन योजना में लेकर कार्य करवाने की योजना है। अग्रवाल ने बताया कि अभी विभाग माणक चौक की सुरक्षा के लिए जाली लगाने व उपर से दरारों से आने वाले बरसाती पानी के रोकथाम व्यवस्था में जुटा है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
भगवान केशव राय महाराज के मंदिर का जीर्णोद्धार व चर्मण्यवती का शुद्धीकरण राजस्थान पत्रिका का प्रमुख मुद्दा रहा है। पत्रिका इस मुद्दे को एक दशक से उठा रहा है। जब भी मुद्दा उठाया गया सरकारों ने बजट तो दिया लेकिन वह बजट उपयुक्त स्थान पर नहीं लग पाया। चम्बल में मिलने वाले गंदे पानी व गंदे नालों के पानी को शुद्ध कर चंबल में मिलने की योजना बनाने के मुद्दे को राजस्थान पत्रिका एक दशक से उठती आ रही है। पत्रिका की आवाज के बाद देवस्थान विभाग एवं पुरातत्व विभाग अब तक यहां के लिए 5 करोड़ से अधिक रूपए स्वीकृत कर चुके हैं ।