बूंदी

बारिश थमी, लेकिन आंखों के आंसू नहीं थम रहे

क्षेत्र में बीते दिनों हुई अतिवृष्टि किसानों पर आफत बन कर आई है। बाढ़ के हालात बन जाने और खेतों में पानी भर जाने से किसानों की फसलें तहस नहस हो गई है।क्षेत्र में बीते दिनों हुई अतिवृष्टि किसानों पर आफत बन कर आई है। बाढ़ के हालात बन जाने और खेतों में पानी भर जाने से किसानों की फसलें तहस नहस हो गई है।

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Aug 27, 2025
कापरेन. शहर में बोरदा रोड के समीप धान के खेत में भरा बरसाती पानी व जलमग्न फसल।

कापरेन. क्षेत्र में बीते दिनों हुई अतिवृष्टि किसानों पर आफत बन कर आई है। बाढ़ के हालात बन जाने और खेतों में पानी भर जाने से किसानों की फसलें तहस नहस हो गई है।

क्षेत्र में धान, सोयाबीन, मक्का, उड़द आदि की फसलें नष्ट होने के कगार पर है। वही फसल बीमा की गाइड लाइन बदलने से किसानों को फसल बीमा लाभ भी मिलने की उम्मीद नहीं है।

कापरेन क्षेत्र में हुई बारिश से तीन से चार दिनों तक जलस्तर कम नहीं होने से फसलें जलमग्न रही। ऐसे मे क्षेत्र में फसलें नष्ट हो गई है। क्षेत्र में डेढ़ से दो माह की फसल हो चुकी है। लेकिन क्षेत्र में आई बाढ़ ने किसानों के सपने धो दिए है। कापरेन क्षेत्र में इस बार करीब पचास फीसदी में धान का रकबा है वही तीस फीसदी में सोयाबीन और दस फीसदी में मक्का उड़द आदि है।

अतिवृष्टि से क्षेत्र में सभी फसलों को नुकसान हुआ है। धान की फसल में पचास से अधिक और अन्य फसलें पूरी तरह नष्ट होने के कगार पर है। किसानों ने प्रशासन से क्षेत्र में सर्वे करवाकर किसानों को अतिवृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने की मांग करते हुए कहा कि फसल में सारा खर्चा करने के बाद फसल नष्ट हो रही है।

किसानों का कहना है कि जल भराव रहने से धान की फसल भी नष्ट होने के कगार पर है और करीब पचास फीसदी नुकसान हो चुका है। वही सोयाबीन, मक्का, उड़द आदि की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किसानों ने प्रशासन से मुआवजा देकर राहत पहुंचाने की मांग की है।

सहायक कृषि अधिकारी पप्पू लाल मीणा ने बताया कि जिला कलक्टर के निर्देशानुसार सर्वे करवाने के आदेश मिल गए हैं। क्षेत्र में हल्का पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक और फसल बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि की टीम गठित कर सर्वे के निर्देश दिए गए हैं।

सोयाबीन, उड़द की फसलें हुई चौपट
नोताडा.
क्षेत्र में हुई बरसात के कारण फसलों में भी भारी नुकसान देखने को मिला। नोताडा बाग के आसपास खेतों में तो धान की फसल भी नजर नहीं आ रही है, खेत पानी से लबालब हैं। उधर खेडीयामान, खेडीया, दुर्जन पचीपला आदि गांवों में भी सोयाबीन, उड़द की फसलें नष्ट हो गई। बाढ का पानी उतरने के बाद किसान खेतों में पहुंचें तो नष्ट हुई फसलों को देखकर सिर पकड़कर भगवान को कोसते नजर आए। किसानों ने बताया कि बाढ से फसलें भी तबाह हो गई। किसानों ने बताया कि कुछ दिनों पहले तक तो लोग बरसात व नहरें पानी की आस लगाकर चिंतित थे लेकिन 22 अगस्त से हुए बरसात के बाद अचानक बाढ़ के हालात हो गए और नदी नालों में आए उफान ने किसानों को रूला दिया।

देई. कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश से खेतों में फसलें तबाह हो गई। जिससे किसान मायूस हो गए। सोयाबीन, उड़द, मूंग, मक्का, मूंगफली, तिल सहित पशुओं के चारे की फसलें पानी भरने से खराब हो गई। देई निवासी किसान रामफूल शर्मा ने बताया कि खेतों में पहले की बरसात से साठ प्रतिशत खराबा हो गया था। इस बरसात से बाकि फसल भी खराब हो गई। जिससे किसानों को काफी नुकसान हो गया। किसानों ने सरकार से खेतों में खराब हुई फसलों का सर्वे करवाकर मुआवजा व फसल बीमा की राशि दिलवाने की मांग की है। जिससे किसानो को आर्थिक मदद मिल सके। देई सहित पीपल्या, जेतपुर, मोडसा, डोकून भजनेरी, गुढासदावर्तिया, कोलाहेडा पंचायत क्षेत्र के गांवों में बरसात से फसलें खराब हो गई।

पानी सिमटने के बाद नजर आया तबाही का मंजर
खटकड़.
पिछले दिनों क्षेत्र में हुई भारी बरसात ओर गुढ़ा बांध के गेट खोलकर पानी निकासी करने से मेज नदी के उफान में आए कई गांवों में पानी सिमटने के बाद तबाही का मंजर देखने को मिला है। खटकड़, देलूंदा, रिहाना, मालियों की बाड़ी, ख्यावदा, छावनियां, बीचड़ी, भाटा का खेड़ा, छापरदा आदि गांवों में सोयाबीन, मक्का, उड़द, मूंग आदि की फसलें जल मग्न होकर खराब हो गई।

निचली बस्तियों में मकानों में पानी भरने से घरों में रखा अनाज, कपड़े, सभी जरूरत के सामान ओर दस्तावेज खराब हो गए। खटकड़ कस्बे में पुलिया के समीप पुष्पचंद कहार, पप्पू कहार, पुष्पचंद प्रजापत, सत्यनारायण सैनी, द्वारकी लाल सैनी के मकान ढह गए। जीतमल सैनी के मकान में दरारें आ गई। सत्यनारायण गौतम, प्रभु लाल खटीक, मोहन मेहर राजू मेहर, शिवराज मीना, लटूर सैनी, मोहन सैनी, शिवशंकर सैनी सहित अन्य लोगों के घरों में जिंस ओर जरूरी सामान भीगकर खराब हो गए। रिहाना पंचायत के मालियों की बाड़ी में कई परिवार बेघर हो गए। जिन्हें देलूंदा के राजकीय विद्यालय भवन ने अस्थाई आश्रय दिया गया। गांवों में खेत जलमग्न होने से फसलें खराब हुई है।

सारा अनाज भीग गया, बदबू मार रहा
नोताड़ा.
पिछले दिनों हुई बरसात से मेज नदी में उफान के कारण पास ही स्थित कोथा गांव में बाढ़ आ गई। यहां लोगों के घरों में पानी भर गया। घर में रखा सारा अनाज भीग गया। यह अनाज फूल गया और उसमें से बदबू आने लगी। मंगलवार को मौसम साफ होने के बाद लोग घरों की सार संभाल में जुट गए। गांव की भरोसी बाई का कहना था कि बरसाती पानी से घर मे रखा गेहूं, दालें भीग गई। इसमें से बदबू आने लगी। अब यह खाने लायक नहीं रहा। उसका कहना था कि अब सरकार उनकी मदद करें। खाने के लिए राशन और मुआवजा राशि मुहैय्या कराएं।

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