बूंदी

तरल कचरे से जैविक खाद बनाने का प्रदेश का पहला प्लांट 10 साल से बंद

तालेड़ा उपखंड के सुवासा पंचायत मुख्यालय पर तरल कचरे से जैविक खाद बनाने का 35 लाख की लागत से बना प्रदेश का पहला प्लांट (ठोस व तरल कचरा निस्तारण प्लांट) स्थाई सफाई कर्मचारी नहीं होने, बजट के अभाव के चलते 10 साल से बंद पड़ा हुआ है।

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Sep 16, 2025
सुवासा 10 साल से वीरान पड़ा राजस्थान का पहला जैविक प्लांट।

सुवासा. तालेड़ा उपखंड के सुवासा पंचायत मुख्यालय पर तरल कचरे से जैविक खाद बनाने का 35 लाख की लागत से बना प्रदेश का पहला प्लांट (ठोस व तरल कचरा निस्तारण प्लांट) स्थाई सफाई कर्मचारी नहीं होने, बजट के अभाव के चलते 10 साल से बंद पड़ा हुआ है। प्लांट के अंदर की मशीनें व सामान भी चोरी हो चुके हैं। ग्रामीण सफाई के लिए शुल्क देने को तैयार नहीं। जबकि सरकार के द्वारा ग्रामीणों के जन सहयोग से ही इस प्लांट को चलना था।

गुजरात से ली थी प्रेरणा
जानकारी अनुसार तत्कालीन जिला कलक्टर आनंदी के प्रयास से जून 2014 में तत्कालीन नरेगा एक्सईएन भारत दत्त त्रिपाठी व सुवासा सरपंच व सचिव समेत चार जने गुजरात के सूरत जिले की करचेलिया ग्राम पंचायत में गए थे। वहां लगे इस प्लांट की महत्ता देखी और सुवासा में लगाने की ठानी। बाद में कलक्टर ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकृत कराकर 23 दिसंबर 2014 को सुवासा में प्रदेश का पहले लिक्विड कचरे से खाद बनाने का ट्रायल प्लांट शुरू कर दिया।

ऐसे बनाया जा रहा था जैविक खाद
कचरा निस्तारण प्लांट के लिए यहां बड़े आकार के टीनशेड बनाया गया। इसमें कचरे को ट्रैक्टर ट्रॉली आदि में भरकर लाया जाता था। यहां गलने वाली सामग्री को अलग करके चार कुटी मशीन से छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते थे। फिर उसे सूखाने के बाद उसमें देसी खाद व केंचुए छोड़कर जैविक खाद बनाई जा रही थी।

एक ट्रॉली जैविक खाद तैयार किया
तत्कालीन सरपंच राज कंवर पूरी के समय पंचायत के द्वारा तरल कचरे से खाद तैयार किया गया। पंचायत के द्वारा जिसे 7 रुपए के किलो के हिसाब से वन विभाग को बेचा गया। और प्लांट को चलाने में 11 सफाईकर्मी लगाए गए थे। बाद में 2015 में सरपंच बदल गई और सरपंच के पद पर महिंद्रा कुमारी ने पदभार ग्रहण कर लिया। 2014 में पंचायत के द्वारा साफ सफाई के लिए 11 सफाईकर्मी 900 रुपए प्रति माह के हिसाब से लगाए थे। सरपंच के बदलने के बाद सफाई कर्मियों ने वेतन 1500 रुपए प्रति माह करने की मांग रखी। पंचायत के पास आय का स्रोत नहीं होने से सभी सफाईकर्मियों को हटा दिया गया। ग्रामीणों के द्वारा पंचायत के द्वारा प्रत्येक मकान 20 रुपए व दुकानदारों से 50 रुपए शुल्क मांगने पर ग्रामीणों के द्वारा मना कर दिया। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने पर कर्मचारियों ने सफाई करना बंद कर दिया, जिसके बाद से ही प्लांट बंद हो गया। गांव में कचरा उठाने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली है, जो गांव से कचरा उठाकर पंचायत की जमीन में डाल रही है।

इनका कहना है
इस प्लांट को चलाने के लिए जन सहयोग की आवश्यकता है। स्थाई सफाईकर्मी होना जरूरी है। सरकार के द्वारा इस प्लांट को चलाने के लिए अलग से कोई बजट नहीं दिया जा रहा है। इसको चलाने के लिए ग्रामीण सफाई शुल्क देने को तैयार नहीं है। बार-बार ग्रामीणों से समझाइश की जा रही है। ग्रामीणों के सहयोग से ही इस प्लांट को चलाया जा सकता है।
प्रियंका पूरी, पंचायत प्रशासक, ग्राम पंचायत सुवासा

गांव को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए सुवासा गांव में प्रदेश का पहला जैविक खाद बनाने का प्लांट लगाया गया था। ग्रामीणों के सहयोग से ही इसे चलना था, जिसमें डॉर टू डोर मकान से 20 रुपए रुपए और दुकानदार से 50 रुपए शुरू लेना था, लेकिन ग्रामीणों के द्वारा इस कार्य में सहयोग नहीं किया। तत्कालीन विकास अधिकारी जगजीवन कौर के द्वारा ग्रामीणों से कई बार गांव में बैठक करके लोगों से समझाइए की गई। फिर भी ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिला, जिसके कारण यह प्लांट लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है। इस पर प्लांट का निरीक्षण तत्कालीन जिला कलक्टर नरेश ठकराल भी कर चुके हैं। उन्होंने भी ग्रामीणों से प्लांट को चलाने में सहयोग की मांग की थी।
निजामुद्दीन, जिला समन्वय, निर्मल भारत अभियान, बूंदी

सुवासा में लगे जैविक खाद प्लांट को चालू करवाने के प्रयास किए जाएंगे। ग्राम पंचायत ही ग्रामीणों के सहयोग से इसे चालू करें। सरकार की तरफ से अलग से कोई फंड नहीं है, फिर भी हमारी और से जो सहायता होगी, वह पंचायत को की जाएगी।
रवि वर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बूंदी

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